अनुवाद मूल्यांकन की आवश्यकता एवं प्रविधि
अनुवाद मूल्यांकन एक ज्ञानात्मक और अनुप्रायोगिक विधा है जिसमें अनुवाद कौशल का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें मूलपाठ के परिप्रेक्ष्य में अनूदित पाठ के गुण-दोषों का विवेचन किया जाता है। यह विवेचन अनुवाद कार्य की निष्पत्ति से होता है जो अनुवाद संशोधन और स्तर के संवर्धन में सहायक होता है। इस दृष्टि से मूल पाठ के कथ्य की पुनर्रचना का परीक्षण ही अनुवाद मूल्यांकन है जिसमें भाषाई इकाइयों के संयोजन और सृजन में निहित गुण-दोषों की जानकारी मिलती है। अनुवाद मूल्यांकन अनूदित कृतियों के प्रति सही अर्थों में पाठक वर्ग की सहिष्णुता लाने का महत् प्रयास है और इससे अंतत: अनुवाद की ही महत् प्रतिष्ठा होती है।
मूल्यांकन शब्द मूल्य+अंकन से निर्मित समस्त पद
है जिसका कोशगत अर्थ है – किसी वस्तु की उपयोगिता, गुण, महत्व आदि का होने वाला अंकन। अनुवाद
मूल्यांकन बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इससे अनुवाद की गुणवत्ता का पता लगता है। हमें
इससे अनुवाद की उपयोगिता, गुण एवं महत्व का भी भान होता है। इसमें मूल्यांकनकर्ता
जाँच के बाद अनुवाद की गुणवत्ता, उसकी उपलब्धियों एवं अनुपलब्धियों पर टिप्पणी
करता है। इससे हमें पता चलता है कि कौन-सा अनुवादक श्रेष्ठ है और कौन-सा अनुवाद
उत्तम है। इसमें देखा जाता है कि अनूदित पाठ मूल पाठ के स्तर का है या नहीं।
अनुवाद मूल्यांकन के मुख्य प्रकार हैं :
1.
पुनरनुवाद आधारित मूल्यांकन, एवं
2.
अनुक्रिया आधारित मूल्यांकन
पुनरनुवाद आधारित मूल्यांकन में अनूदित पाठ को
पुन: स्रोत भाषा में अनुवाद किया जाता है और देखा जाता है कि अनूदित पाठ का
पुनरनुवाद मूल पाठ के अनुवाद से कितना समान अथवा भिन्न है। यही इस पद्धति में
मूल्यांकन का आधार होता है। अनुक्रिया आधारित अनुवाद मूल्यांकन में पाठक की
अनुक्रिया (response)
को देखा जाता है। अगर मूल पाठ की तरह ही अनूदित पाठ का पाठक पर प्रभाव पड़े तो उसे
अच्छा माना जाता है। सैद्धांतिक दृष्टि से यह मूल्यांकन प्रक्रिया बड़ी तर्क संगत
प्रतीत होती है पर व्यवहार में यह उतना ही असफल और दुस्साध्य है। आज तक कोई ऐसा उपकरण
या प्रविधि नहीं है जिससे इस अनुक्रिया अथवा प्रभाव समता को मापा जा सके।
नाइडा
एवं टेबर ने अनुवाद मूल्यांकन के तीन आधार बताये हैं : 1। संदेश का सहज संप्रेषण,
2। पठनीयता द्वारा बोधन, एवं 3। अनुवाद की पर्याप्तता से पाठक की अभिरुचि। ये आधार
अच्छे अनुवाद की बात तो करते हैं, किंतु मूल्यांकन द्वारा अच्छे-बुरे अनुवाद में
भेद स्पष्ट नहीं कर पाते क्योंकि इन अधरों में वैज्ञानिकता एवं वस्तुनिष्ठता नहीं
मिलती। इसके बाद इन दोनों विद्वानों ने अनुवाद मूल्यांकन के लिए निम्नलिखित आधार
प्रस्तावित किये हैं जो अनुक्रिया संबंधी प्रभाव को मापने के लिए प्रायोगिक प्रतीत
होते हैं। इनके प्रकार निम्नवत हैं :
1.
क्लोज़ (close)
परीक्षण
2.
बोधन (comprehension) परीक्षण
3.
सस्वर पठन (loud reading)
4.
उत्तम अनुवाद से तुलना अर्थात् तुलनात्मक परीक्षण (comparison with other translated texts)
इस प्रकार, अनुवाद मूल्यांकन की दृष्टि से अच्छे अनुवाद में चार गुणों
का होना अनिवार्य मन गया है – 1. मूलनिष्ठता, 2. पठनीयता, 3. बोधगम्यता, 4. प्रयोजन सिद्धि। इन सभी के आधार पर हम अनूदित कृति का मूल्यांकन कर
सकते हैं। अनुवाद मूल्यांकन में भाषिक आधार एवं भाषेतर आधार को भी परखा जाता है। इस
प्रकार अनुवाद मूल्यांकन की कई प्रविधियाँ हैं जिनमें से कुछ की चर्चा हमने ऊपर
की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें