रविवार, 8 जनवरी 2023

‘भारत में उपनिवेशवाद और अंग्रेजी भाषा नीति’

                                     भारत में उपनिवेशवाद और अंग्रेजी भाषा नीति

भारत में ब्रिटिश उपनिवेश के दौरान अंग्रेजी भाषा को ही राजकीय भाषा के तौर पर प्रयोग किया जाता था। औपनिवेशिक शक्तियाँ जैसे इंग्लैंड, फ़्रांस, पुर्तगाल आदि जहाँ भी गए वे अपनी भाषा का प्रयोग करते थे तथा अपने उपनिवेश में अपनी भाषा को राजकीय भाषा के रूप में स्थापित किया। भारत में इंग्लैंड का प्रभुत्व स्थापित हुआ और इसी के साथ भारत में अंग्रेजी भाषा को मुख्य भाषा के तौर पर इस्तेमाल किया गया।

भारत में अंग्रेजी भाषा की नीति को समझने के लिए हमें औपनिवेशिक काल से प्रारंभ करना होगा। ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजी को बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया। लार्ड मैकाले का प्रसिद्ध ‘मिनट्स ऑन इंडियन एजुकेशन’ (English Education Act, 1835) में अंग्रेजी को लेकर उनकी दृष्टि एवं योजना स्पष्ट दिखती है। उसके अनुसार उन्होंने भारत में ऐसी शिक्षा व्यवस्था लागू की कि भारतीय दिखने में तो भारतीय जैसे रहे लेकिन मानसिक स्तर पर नए अंग्रेज बन गए। उसका उद्देश्य ऐसे वर्ग को तैयार करना था जो नस्ल और रंग में भारतीय हों किंतु रुचि, मत, नैतिकताओं एवं बुद्धि से अंग्रेज हों। वे ऐसा करने में बहुत हद तक सफल भी रहे। अंग्रेजों ने आरंभ अंग्रेजी को लेकर  अपनी महत्वाकांक्षी शैक्षिक नीतियाँ चलाई लेकिन वे कुछ खास कारगर साबित नहीं हुईं।   वे केवल अंग्रेजी ज्ञान पर ही बल देते थे लेकिन बाद में उन्हें अपनी नीतियों में बदलाव किया। अंग्रेजों द्वारा भारत में स्थापित शैक्षिक संस्थानों ने देश के इतिहास, साहित्य एवं भाषाओं का अध्ययन शुरू किया लेकिन अध्ययन की भाषा सदैव अंग्रेजी ही रही। उन्होंने शिक्षा का माध्यम पूर्णत: अंग्रेजी ही रखा। संस्कृत, फारसी, हिंदुस्तानी और अंग्रेजी ये चार भाषाएँ हैं जिन्होंने औपनिवेशिक काल से लेकर स्वतंत्रता तक का समय देखा है। संस्कृत शास्त्रीय पांडुलिपियों की भाषा बनकर सिमट गयी थी और फारसी धीरे-धीरे कार्यालयों की भाषा बन गयी। 1799 में कार्यालयों की भाषा के लिए फारसी के साथ-साथ हिंदुस्तानी को भी अनिवार्य कर दिया गया। 1838 में अंग्रेजी ने फारसी का स्थान ले लिया। अंग्रेजी भाषा का शिक्षण एवं अभिग्रहण ब्रिटिश भारत में भाषा और साहित्य दोनों में ही रहा। इस प्रकार, अंग्रेजी ब्रिटिश उपनिवेश काल में भारत की राजकीय भाषा बन गयी और यह स्थिति आज भी बनी हुई है।

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