भारत में दो चीजें बहुत लोकप्रिय हैं; पहली है फिल्म और दूसरी क्रिकेट। आज हम लोग फिल्म या चलचित्र के बारे में बात करेंगे। आज हम जानेंगे कि भारत की सबसे पहली फिल्म कौन थी ? भारत में फिल्म से पहले पारसी थिएटर काफी प्रसिद्ध थे और बाद में उनमें बाहर (विदेश) की बनी फ़िल्में भी दिखायी जाने लगीं। भारत की पहली हिंदी फ़िल्म होने का गौरव ‘राजा हरिश्चंद्र’ को प्राप्त है। यह फिल्म 40 मिनट की थी। यह फिल्म सन् 1913 में सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म के निर्देशक, निर्माता और पट-कथा लेखक दादासाहेब फाल्के थे। इनका पूरानाम धुन्धिराज गोंविद फाल्के था। लोग इन्हें प्यार से दादासाहेब फाल्के कहते थे और भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार इन्हीं के नाम से दिया जाता है।

दादासाहेब ने मुंबई (तब बंबई) में ‘लाइफ ऑफ क्राइस्ट’ (The Life of Christ) फिल्म देखी और वे फिल्म निर्माण की तरफ आकर्षित हुए। फिर वे दो सप्ताह के लिए लंदन गये जहाँ उन्होंने फिल्म बनाने की तकनीक सीखी। उसके बाद उन्होंने फाल्के फ़िल्म्स कंपनी (Phalke Films Company) की स्थापना की। उन्होंने फ़िल्म बनाने के उपकरण फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका और जर्मनी से मंगवाये। उन्होंने पैसे जुटाने हेतु एक लघु फिल्म ‘अंकुराची वाढ’ का निर्माण किया। उन्होंने समाचारपत्रों में अभिनेता एवं फ़िल्म निर्माण से जुड़े लोगों के लिए इश्तहार दिये। लेकिन उन्हें स्त्री पात्र का अभिनय करने के लिए कोई औरत नहीं मिली इसलिए इस फिल्म में स्त्री चरित्र को भी पुरुष ने ही निभाया है।

फिल्म का प्रथम प्रदर्शन या प्रीमियर दिनांक 21 अप्रैल 1913 को  ओलम्पिया थिएटर, मुंबई में हुआ। फिर इसे 3 मई 1913, शनिवार को सिनेमाघरों में आमजन के लिए लगाया गया। यह एक सफल फिल्म साबित हुई तथा इसने भारत में फिल्म निर्माण का द्वार खोल दिया और इसी के साथ भारतीय फिल्म उद्योग की स्थापना हुई।

राजा हरिश्चंद्र की भूमिका दत्तात्रेय दामोदर डबके ने निभायी। हरिश्चंद्र के पुत्र रोहितश्व का किरदार भालचंद्र फाल्के ने किया और रानी तारामती - जो हरिश्चंद्र की पत्नी एवं रोहितश्व की माँ हैं - का पात्र अन्ना साळुंखे ने जिया। ऋषि विश्वामित्र का अभिनय गजानन साने ने किया। त्रयम्बक बी. तेलांग चलचित्रकार या छायाकार (cinematographer) के रूप में कार्य किया।

यह फिल्म अंशत: नष्ट हो चुकी है और इसके पहला और अंतिम रील (reel) राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय, पुणे (National Film Archive of India) में सुरक्षित है। हालांकि कुछ जानकार इसे दादासाहेब फाल्के की 1917 में निर्मित अन्य फिल्म ‘सत्यवादी राजाहरिश्चंद्र का हिस्सा मानते हैं। कुछ इतिहासकार ‘राजा हरिश्चंद्र’ को पहली भारतीय फिल्म मानने से भी इनकार करते हैं तथा वे दादासाहेब तोरणे की फिल्म ‘श्री पुंडलीक’ को पहली भारतीय फिल्म का दर्जा देते हैं। दादासाहेब तोरणे की फिल्म 18 मई 1912 को प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म की लम्बाई 22 मिनट थी। दादासाहेब तोरणे का पूरा नाम रामचंद्र गोपाळ “दादासाहेब” तोरणे है। इनकी फिल्म के सिनेमेटोग्राफर ब्रिटिश नागरिक जॉनसन थे जो कि एक विदेशी थे। यह फिल्म लंदन (परदेश) प्रोसेस होने गयी थी। शायद इसलिए इसे आधिकारिक रूप से प्रथम भारतीय फिल्म नहीं मानते हैं। भारत सरकार आधिकारिक तौर पर ‘राजा हरिश्चंद्र’ को ही प्रथम भारतीय फिल्म मानती है।

© डॉ. श्रीनिकेत कुमार मिश्र
सहायक प्रोफेसर,
अनुवाद अध्ययन विभाग,
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा - 442001 (महाराष्ट्र), भारत
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