मशीनी अनुवाद की विभिन्न पद्धतियाँ
मशीनी अनुवाद
वह अनुवाद है जो स्रोत भाषा के पाठ या संदेश को लक्ष्य भाषा के पाठ या संदेश में
स्वत: अनूदित कर देता है। यह अनुवाद चूँकि मशीन (कंप्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट) द्वारा
होता है इसलिए इसे मशीनी अनुवाद कहते हैं। इसे कई बार स्वत: अनुवाद भी कहा जाता है।
प्रारंभ
में मशीनी अनुवाद की निम्नलिखित तीन पद्धतियाँ प्रयोग में लायी जाती रहीं :
1.
प्रत्यक्ष मशीनी अनुवाद पद्धति (Direct Machine Translation System) : इसमें द्विभाषी कार्पस
बनाये जाते हैं जिसमें स्रोत भाषा के शब्दों के समानार्थक लक्ष्य भाषा के शब्द
रहते हैं। यह 60 एवं 70 के दशक के मध्य तक प्रचलित थी। इसमें पार्सर का प्रयोग
नहीं होता है। इसमें स्रोत भाषा के शब्दों के स्थान पर लक्ष्य भाषा के शब्दों को
रखकर बाद में लक्ष्य भाषा के वाक्य-विन्यास के अनुरूप शब्दों का संयोजन किया जाता
है। इसी प्रकार का IIIT, हैदराबाद द्वारा तैयार किया गया ‘अनुसारक’
मशीनी अनुवाद प्रणाली है जो लगभग सभी भारतीय भाषाओं के लिए है।
2.
अंतरण मशीनी अनुवाद पद्धति (Transfer Machine Translation
System) : मशीनी अनुवाद की दूसरी पीढ़ी में विश्लेषण और संश्लेषण के
अलावा अंतरण की भी व्यवस्था शुरू हुई। इसमें स्रोत भाषा के प्रत्येक शब्द को
व्याकरणिक कोटियों के आधार पर निरूपित कर उनका आंतरिक ढाँचा तैयार किया जाता है।
इसमें शब्द और संरचना दोनों स्तरों पर भाषा का अंतरण होता है। इसके लिए स्रोत भाषा
का एकभाषी कोश और अंतरण के लिए द्विभाषी कोश की आवश्यकता पड़ती है।
3.
अंतरभाषा मशीनी अनुवाद पद्धति (Interlingua Machine Translation
System) : इसके विकास से विभिन्न भाषाओं के बीच परस्पर अनुवाद की
व्यवस्था शुरू हुई । इसमें एक भाषा को केंद्र में रखकर कार्य किया जाता है। किसी
भी भाषा से पहले उसी केंद्रित भाषा में अनुवाद होता है। उसके बाद वह केंद्रित भाषा
स्रोत भाषा बन जाती है और उससे लक्ष्य भाषा में अनुवाद होता है। यूरोपीय समुदाय
का यूरोत्रा (EUROTRA) (1978-92) तथा एशियाई भाषा के लिए एम. यू. (M.U.) इसी पद्धति पर आधारित प्रणाली है।
बाद में तीन अन्य प्रकार की पद्धतियों का विकास
हुआ जो निम्नवत हैं :
1.
नियम आधारित मशीनी अनुवाद (Rule Based Machine Translation System)
2.
सांख्यिकीय आधारित मशीनी अनुवाद (Data Driven or Statistical
Machine Translation System)
3.
संकर मशीनी अनुवाद पद्धति (Hybrid Machine Translation
System)
हम यहाँ इनकी विस्तृत चर्चा नहीं कर रहे हैं।
अभी सभी जगह संकर या हाइब्रिड प्रणाली का प्रयोग हो रहा है एवं गूगल अनुवाद संकर
एवं न्यूरल पद्धति को मिश्रित कर अच्छा परिणाम दे रहा है।
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