अनुवादक की कथ्य विषयक योग्यता
अनुवाद कर्म
पूरी तरह अनुवादक के दायित्व-बोध और विवेक पर आधारित होता है। अनुवादक का यह
दायित्व कथ्य से ही आरंभ होता है। हमें ज्ञात है कि स्रोत भाषा में प्रतिपादित
विषय ही कथ्य कहलाता है। स्रोत भाषा में प्रतिपादित विषय का ज्ञान अनुवादक को होना
चाहिए तथा इससे संबंधित पारिभाषिक शब्दावली का बोध भी अनुवादक को होना चाहिए, यह
अनुवाद के लिए प्रथम शर्त है। कथ्य चाहे साहित्यिक पाठ का हो अथवा साहित्येतर पाठ
का, हरेक कथ्य में शब्दावली का अपना विशेष महत्व होता है। साहित्यिक अनुवाद
में इसमें अभिधा, लक्षणा एवं व्यंजना- तीनों
शब्द शक्तियों से पोषित ध्वन्यार्थ छिपे रहते हैं। इसलिए अनुवादक का सबसे बड़ा
दायित्व है कि वह मूल कथ्य को पूरी तरह से समझे। कथ्य के विविध आयाम, उसके शब्द
प्रयोग एवं अभिव्यक्ति कौशल का भलीभांति विश्लेषण करे।
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