रविवार, 19 फ़रवरी 2023

स्कोपोस सिद्धांत (Skopos theory)

                                                     स्कोपोस सिद्धांत (Skopos theory)

            स्कोपोस (Skopos) ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका अर्थ लक्ष्य या उद्देश्य होता है। इस शब्द का प्रथम बार प्रयोग 1970 के दशक में हैन्स जे. वरमीर (Hans J. Vermeer) ने एक पारिभाषिक शब्द के तौर पर अनुवाद और अनुवाद की क्रिया के उद्देश्य के रूप में किया। स्कोपोस वह प्रमुख सिद्धांत जो किसी भी अनुवाद के लिए कार्यनीति या रणनीति निर्धारित करता है।

            1970 एवं 1980 के दशक में अनुवाद के भाषावैज्ञानिक अध्ययन के अतिरिक्त अन्य अभिगम भी प्रचलित हुए। जर्मनी में प्रकार्यात्मक एवं संप्रेषणात्मक अभिगम का विकास हुआ। कैथरीना रेइस एवं वरमीर ने अपनी पुस्तक ‘Grundlegung einer allgemeine Translationstheorie’ (English : Groundwork for a General theory of Translation) (1984) में यह बताया है कि अनुवाद में लक्ष्य पाठ का उद्देश्य या यूँ कहें कि अनुवाद का उद्देश्य ही निर्धारित करता है कि अनुवाद की प्रविधि, युक्ति एवं प्रक्रिया क्या होगी। जिस प्रकार मनुष्य की हरेक गतिविधि या क्रिया उसके निहित उद्देश्य पर निर्भर करती है, उसी प्रकार अनुवाद की प्रक्रिया भी उसके करने के उद्देश्यों द्वारा निर्धारित होती है। अनुवाद की दिशा-दशा एवं रणनीति भी अनुवाद करने के पीछे निहित लक्ष्यों या उद्देश्यों द्वारा ही संचालित होती है। अनुवादक क्या छोड़ेगा या कुंद करेगा, किस पर ज्यादा बल देगा या उभारेगा सभी कुछ अनुवाद के पीछे के उद्देश्य द्वारा ही संचालित होता है। अनूदित पाठ का प्रकार्य एवं प्रभाव भी अनुवाद के उद्देश्यों के अनुरूप ही होता है। यदि ऐसा न हो तो वह अनुवाद सफल नहीं माना जाता है। अंत: अनुवादक को अनुवाद का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए; यथा अनुवाद का उद्देश्य आर्थिक सफलता या वित्तीय लाभ कमाना है, अथवा इसका लक्ष्य स्रोत भाषा के पाठ के समतुल्य लक्ष्य भाषा के पाठकों पर प्रभाव उत्पन्न करना है या अनुवाद का कोई और ही लक्ष्य है। इसमें लक्ष्य भाषा के पाठ या अनूदित पाठ को ट्रांसलेतुम (trunslatum) कहा गया है।

            स्कोपोस सिद्धांत के मूल में यह बात है कि किसी भी पाठ का अनुवाद उसके लक्ष्य भाषा के पाठकों द्वारा ही परोक्ष रूप से निर्धारित होता है। अनूदित पाठ के पाठक या लक्ष्य पाठक की सांस्कृतिक आवश्यकताएँ एवं स्थितियाँ अनुवाद को निश्चित ही प्रभावित करती हैं। इसके अनुसार हमारा यह जानना आवश्यक है कि पाठ का क्यों और किसके लिए अनुवाद किया जा रहा है। अनुवादक को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अनूदित पाठ का क्या प्रकार्य होगा अर्थात अनूदित पाठ अपने लक्ष्य भाषा के पाठकों पर किस प्रकार का प्रभाव छोड़ेगा। पुस्तक में कुछ नियम भी बताए गए हैं –

1.      अनूदित पाठ या ट्रांसलेतुम (trunslatum) अनुवाद के स्कोपोस द्वारा निर्धारित होता है।

2.      अनूदित पाठ लक्ष्य संस्कृति और लक्ष्य भाषा के पाठक के लिए सूचना प्रस्ताव है।

3.      अनूदित या लक्ष्य पाठ स्रोत भाषा या मूल पाठ में विद्यमान सूचना को बिल्कुल भिन्न तरीके से प्रस्तुत नहीं कर सकता।

4.      अनूदित पाठ आंतरिक रूप से (अपने आप में) सुसंगत होना चाहिए।

5.      अनूदित पाठ (TT) मूल पाठ से अवश्य सुसंगत होना चाहिए।

6.      उपर्युक्त नियम पदानुक्रम में हैं लेकिन स्कोपोस का नियम सबसे महत्वपूर्ण है।

स्कोपोस सिद्धांत का एक लाभ है कि इससे हम एक ही पाठ को अलग-अलग उद्देश्यों की दृष्टि से कई बार अनुवाद कर सकते हैं ।

            इसमें तीन तरह के नियम महत्वपूर्ण हैं –

1.      स्कोपोस नियम : अनूदित पाठ का उद्देश्य

2.      सुसंगतता का नियम (coherence rule) : अनूदित पाठ लक्ष्य भाषा के पाठकों की स्थितियों के अनुकूल होना चाहिए, अर्थात् अनुवाद ऐसा हो जो पाठकों की परिस्थितियों एवं ज्ञान के अनुकूल हो ।

3.      निष्ठा का नियम (fidelity rule) : ट्रांसलेतुम (trunslatum) और स्रोत भाषा में मध्य सुसंगतता अवश्य हो – पहले वह स्रोत भाषा की सूचना को सही-सही समझे, फिर वह उस सूचना को सही तरीके व्याख्या कर सके, और अंत में अनुवादक उस सूचना को उचित तरीके से लक्ष्य भाषा में संप्रेषित करे ।  इन तीनों अवस्थाओं में भी सुसंगतता होनी चाहिए, वे विरोधाभाषी न हों ।

स्कोपोस सिद्धांत में कैथरीना रीस (Katharina Reiss) का पाठ-प्रकार एवं भाषा-प्रकार्य (text type and language function), जुस्टा होल्ज़-मैन्टरी (Justa Holz-Miinttiiri) का अनुवाद क्रियान्वयन का सिद्धांत (theory of translational action), हैंस ज़े. वरमीर (Hans J. Vermeer) का स्कोपोस सिद्धांत (skopos theory) एवं क्रिस्टियान नोर्ड (Christiane Nord) का पाठ-विश्लेषण प्रतिदर्श (text-analysis model) भी शामिल हो गया ।

स्कोपोस सिद्धांत के आधार पर यूरोपीय विद्वानों द्वारा भारतीय ग्रंथों के अनुवादों का अध्ययन किया जा सकता है । इससे अनुवाद की राजनीति एवं अनुवाद पारिस्थितिकी को भी समझने में सहायता मिल सकती है । निश्चय ही स्कोपोस सिद्धांत अनुवाद प्रक्रिया एवं इसके उद्देश्यों को समझने में सहायक है ।

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2023

Décrivez votre université.

                                                                         Mon université

Je m'appelle ___. J'étudie au premier semestre de licence (BA). Mon université s'appelle Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya. Elle est située à Wardha. Elle s'étend sur 210 acres. Elle est au Maharashtra près de Nagpur. Wardha est à environ 72 kilomètres de Nagpur.

En mousson, il pleut et il fait beau. Il y a de la verdure partout. Il y a des petites collines à l’université. Elle me paraît très pittoresque. En hiver, il ne fait pas très froid. J’aime beaucoup me promener. Le printemps est très court. Mais, il fait très chaud en été. Le soleil brille. Il fait du vent chaud qui est insupportable.

Il y a plusieurs départements à l'université. J'apprends le français ici. Il y a plusieurs bibliothèques à l'université. Je lis des livres et les journaux à la bibliothèque. Il y a aussi un grand stade, deux terrains de badminton, un terrain de basket et un terrain de Volley. Je fais du au sport au stade. Quelquefois (parfois) je joue au badminton aussi.

J'étudie aussi la traduction et le hindi. Les professeurs sont sympathiques. Ils nous enseignent très bien. J'aime M. X beaucoup parce que (car). Il est très bien amical. Il est très ponctuel. Il arrive toujours à l'heure.

Le marché local n’est pas très cher mais il est un peu loin de l’université. Je m’amuse beaucoup à l’université. J’aime beaucoup mon université. 

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

होम्स-टुरी मानचित्र का विवरण

 

होम्स-टुरी मानचित्र

जेम्स एस. होम्स (James Stratton Holmes) अमरीकन-डच कवि अनुवादक एवं अनुवाद चिंतक थे। इनका जन्म 2 मई 1924 को लोवा, संयुक्त राज्य अमरीका में हुआ एवं निधन 6 नवंबर 1986 को एम्स्टरडैम, नीदरलैंड में हुआ। उन्होंने अपनी रचनाओं एवं अनुवादों को कभी अपने वास्तविक नाम से या फिर कभी-कभी जिम होम्स (Jim Holmes) या जैकोब लोलैंड (Jacob Lowland) नाम से प्रकाशित करवाया । उन्हें सन 1956 में प्रतिष्ठित मर्तिनुस निजहोफ्फ़ (Martinus Nijhoff) अनुवाद सम्मान मिला । वे पहले गैर डच अनुवादक थे, जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया था । उनका मौलिक शोध आलेख ‘The name and nature of translation studies’ (अनुवाद अध्ययन का नाम एवं प्रकृति) पहली बार 1972 में प्रकाशित हुआ, जिसका बाद के वर्षों संशोधन-परिशोधन होता रहा । इस निबंध ने अनुवाद अध्ययन को एक विषय के रूप में परिभाषित, सुव्यवस्थित एवं प्रतिस्थापित करने का कार्य किया । इसे आम तौर पर अनुवाद अध्ययन के लिए संस्थापक वक्तव्य के रूप में स्वीकार किया जाता है ।

गिडियन टुरी (Gideon Toury) इजरायली अनुवाद चिंतक थे तथा वे तेल अवीव विश्वविद्यालय, इजरायल में काव्यशास्त्र, तुलनात्मक साहित्य और अनुवाद अध्ययन के प्रोफ़ेसर के रूप में कार्य किया । गिडियन टुरी (6 जून 1942 – 4 अक्टूबर 2016) को विवरणात्मक अनुवाद के पुरोधा एवं प्रवर्तकों में गिना जाता है । उनका शोध मुख्यतः अनुवाद के सिद्धांत और वर्णनात्मक अनुवाद अध्ययन पर केंद्रित रहा, जिसमें बाइबिल के हिब्रू अनुवाद के इतिहास पर विशेष ध्यान दिया गया। टुरी के अनुसार, निर्देशात्मक (Prescriptive) और वर्णनात्मक (Descriptive) दो प्रकार के अध्ययन होते हैं। निर्देशात्मक अभिगम का उद्देश्य उन नियमों को तैयार करना है, जिनका अनुसरण किसी दिए गए प्रकार के पाठ का निर्माण करने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए। यह सबसे उत्तम या सही समाधान खोजने पर केंद्रित हैं। वर्णनात्मक अभिगम उपलब्ध ग्रंथों को देखने और उनके द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों का वर्णन करने के बारे में है। निर्देशात्मक अनुवाद अध्ययन हमें यह बताता है कि कैसा अनुवाद होना चाहिए और वर्णनात्मक अनुवाद अध्ययन हमें पूर्व में किए गए अनुवादों के आधार पर नियमों का वर्णन है। अधिकांश वैज्ञानिक अध्ययन वर्णनात्मक ही होते हैं। इनकी प्रसिद्ध रचना है : Descriptive Translation Studies - And Beyond (1995)

  होम्स-टुरी मानचित्र को जेम्स एस. होम्स एवं गिडियन टुरी का संयुक्त प्रयास कहा जा सकता है। जिस संकल्पना को होम्स ने अपने आलेख ‘The name and nature of translation studies’ में  बताने का प्रयास किया, उसे मानचित्र के रूप में और व्यवस्थित स्वरूप देने का महत्वपूर्ण कार्य  गिडियन टुरी द्वारा किया गया।

 


होम्स ने अनुवाद अध्ययन को दो मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया है : 1. विशुद्ध अनुवाद अध्ययन (Pure Translation Studies), एवं 2. अनुप्रयुक्त अनुवाद अध्ययन (Applied Translation Studies)।

विशुद्ध अनुवाद अध्ययन के अंतर्गत हम अनुवाद का सैद्धांतिक एवं विवरणात्मक अथवा वर्णनात्मक अध्ययन को रखते हैं तथा अनुप्रयुक्त अनुवाद अध्ययन के तहत अनुवाद का प्रायोगिक पक्ष जैसे 1. अनुवाद प्रशिक्षण (Translator Training), 2. अनुवाद के साधन-उपकरण (Translation aids) एवं 3. अनुवाद समीक्षा (Translation criticism) आता है।

सैद्धांतिक अनुवाद अध्ययन को सामान्य और आंशिक सिद्धांत में विभाजित किया जाता है। विवरणात्मक अथवा वर्णनात्मक अध्ययन को परीक्षण के आधार पर तीन संभावित क्षेत्र उन्मुख अध्ययन सम्मिलित है – 1. उत्पाद उन्मुख (Product oriented) 2. प्रक्रिया उन्मुख (Process oriented) एवं, 3. प्रकार्य उन्मुख (Function oriented) । उत्पाद उन्मुख वर्णनात्मक अनुवाद अध्ययन में हम विभिन्न अनूदित कार्यों का अध्ययन करते हैं। इसमें किसी एक स्रोत भाषा एवं लक्ष्य भाषा के मध्य विभिन्न अनुवादों के अध्ययन से अनुवाद अध्ययन के इतिहास को समझने में सहायता मिल सकती है। प्रक्रिया उन्मुख वर्णनात्मक अनुवाद अध्ययन में अनुवाद के दौरान होने वाली मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन होता है। इसमें अनुवादक के मानस पटल पर क्या क्रियाएँ होती हैं, इसका विश्लेषण होता है। अनुवाद प्रक्रिया को सही से समझने के लिए इसका समुचित अध्ययन आवश्यक है। प्रकार्य उन्मुख वर्णनात्मक अनुवाद अध्ययन में अनूदित पाठ का लक्ष्य भाषा के समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसका विश्लेषण होता है। इसे हम समाज-अनुवाद अध्ययन या संस्कृति उन्मुख अनुवाद अध्ययन के अंतर्गत रख सकते हैं। इसमें मूलत: यह देखा जाता है कि अनूदित पाठ का लक्ष्य भाषा के पाठकों या समाज पर कैसे प्रभाव पड़ता है; अनूदित पाठ किस प्रकार और कहाँ तक अपने अनुवाद के उद्देश्यों को पूरा करने में सफल है।

सैद्धांतिक अनुवाद के आंशिक अध्ययन के अंतर्गत हम माध्यम केंद्रित (medium restricted), क्षेत्र केंद्रित (area restricted), रैंक केंद्रित (rank restricted), पाठ-प्रकार केंद्रित (text type restricted), समय केंद्रित (time restricted) एवं समस्या केंद्रित (problem restricted) का अध्ययन करते हैं।  माध्यम केंद्रित अनुवाद अध्ययन में हम मानव अथवा मशीन/यंत्र द्वारा किए गए अनुवाद का अध्ययन करते हैं। इसमें हम अनुवाद के लिखित या मौखिक माध्यमों की चर्चा कर सकते हैं और यदि मौखिक है तो उसके प्रकार युगपत और कालक्रमिक भाषांतरण का अध्ययन कर सकते हैं। क्षेत्र केंद्रित अनुवाद अध्ययन में किसी भाषा विशेष या भाषा परिवार से जुड़े अनुवाद पर काम किया जाता है। यह भाषाओं के मध्य व्यतिरेकी अध्ययन से काफी हद तक समान है। रैंक केंद्रित अनुवाद अध्ययन में भाषायी रैंक शब्द, वाक्य आदि विभिन्न रैंकों पर अनुवाद का विश्लेषण होता है।  पाठ-प्रकार केंद्रित अनुवाद अध्ययन में पाठ की विधा यथा साहित्य, तकनीक, वैज्ञानिक, व्यावसायिक आदि के आधार पर अध्ययन किया जाता है। यह कैथरीना रीस और हैंस जोजेफ वरमीर के कार्यों के पश्चात ज्यादा प्रासंगिक हो गया। समय केंद्रित अनुवाद अध्ययन में हम किसी विशेष काल, युग के संदर्भ में अनुवाद का अध्ययन करते हैं। इसमें अनुवाद का इतिहास भी शामिल है।  समस्या केंद्रित अनुवाद अध्ययन में हम कुछ विशेष बिंदुओं अथवा समस्याओं पर अपने अध्ययन को केंद्रित करते हैं। उदाहरण के लिए विश्वसनीयता और समतुल्यता का प्रश्न अनुवाद अध्ययन में काफी उठता रहा है। इनको केंद्र में रखकर या इसी तरह की किसी समस्या को केंद्र में रखकर किया जाने वाला अध्ययन समस्या केंद्रित अनुवाद अध्ययन के अंतर्गत आता है।

जैसा कि हम पहले देख चुके हैं कि अनुप्रयुक्त अनुवाद अध्ययन के तहत अनुवाद का प्रायोगिक पक्ष -- 1. अनुवाद प्रशिक्षण (Translator Training), 2. अनुवाद के साधन-उपकरण (Translation aids) एवं 3. अनुवाद समीक्षा (Translation criticism) आते हैं ।  अनुवाद प्रशिक्षण के अंतर्गत अनुवाद के शिक्षण मूल्यांकन प्रविधि, अनुवाद परीक्षण तकनीक एवं अनुवाद के पाठ्यक्रम निर्माण आदि विषय क्षेत्र आते हैं। अनुवाद के उपकरण में सूचना प्रौद्योगिकी की एप्प, शब्दकोश एवं व्याकरण आदि का अध्ययन एवं विकास शामिल है।  अनुवाद समीक्षा में अनूदित पाठ का पुनरवलोकन, मूल्यांकन एवं समीक्षा सम्मिलित है। सूचना प्रौद्योगिकी के अंतर्गत अनुवाद हेतु विकसित सॉफ्टवेयर, ऑनलाइन डेटाबेस एवं इंटरनेट का प्रयोग आदि का अध्ययन एवं विकास शामिल है।

इस प्रकार, होम्स-टुरी मानचित्र अनुवाद अध्ययन का समेकित चित्र प्रस्तुत करता है। इससे अनुवाद अध्ययन के विभिन्न पक्षों का पता चलता है।

 

अधिक जानकारी हेतु निम्न लिंक पर जाएँ :

https://en.wikipedia.org/wiki/James_S._Holmes

https://en.wikipedia.org/wiki/Gideon_Toury

https://at.tumblr.com/sriniket/709262122074439680/wytss324vobt

https://sriniket.blogspot.com/2023/02/holmes-toury-map.html


होम्स-टुरी मानचित्र (Holmes-Toury Map)


 

कैटफर्ड और उनका शिफ्ट सिद्धांत

                                                         कैटफर्ड और उनका शिफ्ट सिद्धांत

अनुवाद ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो भाषाएँ शामिल हैं। स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में अनुवाद के क्रम में जो बदलाव, परिवर्तन या विचलन होते हैं, उन्हें ‘शिफ्ट’ के नाम से जाना जाता है। जॉन कनिसन कैटफर्ड (J.C. Catford) ने शिफ्ट को अनुवाद प्रक्रिया के रूपात्मक समानता (formal correspondence) से प्रस्थान के रूप में परिभाषित किया है। कैटफर्ड (26 मार्च 1917 – 6 अक्टूबर 2009) एक स्कॉटिश मूल के अमरीकी भाषावैज्ञानिक एवं अनुवाद चिंतक थे। वे कई भाषाओं के जानकार थे और अनुवाद पर उनकी पहली पुस्तक ‘A Linguistic Theory of Translation’ सन 1965 में प्रकाशित हुई। वे अनुवाद को भाषा पर होने वाली प्रक्रिया मानते थे इसलिए वे अनुवाद के भाषायी पक्ष के अध्ययन में विशेष रुचि रखते थे। इसी पुस्तक के 12वें अध्याय में वे अनुवाद शिफ्ट की संकल्पना के बारे में विस्तार से विवेचन करते हैं।

            शिफ्ट को कैटफर्ड से पहले ज़े.पी. विने और ज़े. दारबेलने ने भी अपनी अनुवाद प्रविधि में शिफ्ट की तरह ही बदलाव की चर्चा की है। कैटफर्ड के अनुसार शिफ्ट अनुवाद के दौरान रूपात्मक स्तर पर होने वाला परिवर्तन है। रूपात्मक या रूपीय समानता से यहाँ तात्पर्य पाठ के स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा में रूपीय स्तर की समानता से है। शिफ्ट के मुख्यत: दो प्रकार मने जाते हैं : 1. स्तर शिफ्ट (Level Shift) एवं 2. कोटि शिफ्ट (Category Shift) ।

            स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में अनुवाद के दौरान होने वाले भाषायी स्तर पर विचलन या परिवर्तन को स्तर शिफ्ट के रूप में परिभाषित किया गया है। हर भाषा में काल, पक्ष आदि की संकल्पना अलग होती है और अनुवाद के दौरान इनमें परिवर्तन होना स्वाभाविक है। भिन्न-भिन्न भाषाओं में सामाजिक परिवेश एवं सांस्कृतिक मूल्य भी अलग होते हैं; अंत: अनुवाद के दौरान उनके अनुसार भी बदलाव होते हैं। हालाँकि कैटफर्ड ने केवल अनुवाद के भाषायी पक्ष का ही ज्यादा ध्यान दिया था और उन्होंने अपने अध्ययन में सामाजिक-सांस्कृतिक पक्ष का अध्ययन नहीं किया है। उदाहरण के तौर पर, अंग्रेजी के वाक्य “ I want to ask you something. को हिंदी में “ मैं आपसे/तुमसे कुछ पूछना चाहता था।” भी किया जा सकता है। यह ध्यान देने की बात है कि जब भी हम इस तरह के विचार रखते हैं तो बातचीत में भूतकाल का ही प्रयोग करते हैं और यह स्वाभाविक भी है। कई बार जो चीजें स्रोत भाषा में अनौपचारिक होती हैं, वहीं वे लक्ष्य भाषा में औपचारिक होती हैं। जैसे अंग्रेजी में पिता या पापा के साथ संवाद अनौपचारिक हो सकता है, किंतु हिंदी में सामान्यतया यह औपचारिक बातचीत होता है और संबोधन भी पिता के लिए औपचारिक ही होता है। हम पिता जी के लिए हिंदी में ‘तुम’ का प्रयोग कम ही करते हैं।

            कोटि शिफ्ट में अनुवाद के क्रम में स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में संरचनात्मक, व्याकरणिक, इकाई एवं व्यवस्था संबंधी परिवर्तन देखने को मिलते हैं । कैटफर्ड स्तर शिफ्ट से ज्यादा महत्व कोटि शिफ्ट को देते हैं और शायद इसीलिए इसके चार प्रकारों की चर्चा भी करते हैंकोटि शिफ्ट के चार प्रकार निम्नवत हैं :

1.  संरचनात्मक शिफ्ट (Structural Shift) : जब स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में अनुवाद के क्रम में वाक्य की संरचना या उनके शब्दों के क्रम बदल जाते हैं तो उन्हें संरचनात्मक शिफ्ट के नाम से जाना जाता है। यह अनुवाद के दौरान होने वाला सबसे सहज और सामान्य शिफ्ट है। जब स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा का वाक्य विन्यास समान नहीं होता है तब यह देखने को मिलता है।

उदाहरण के लिएWhat is your name ? को हिंदी में “तुम्हारा/आपका नाम क्या है ?” के रूप में अनुवाद करेंगे । यहाँ लक्ष्य भाषा के वाक्य की संरचना में अंतर स्पष्ट दिखता है । वहीं यदि इसे हिंदी से मराठी में अनुवाद करें तो यह “तुझं / तुमचे नाव काय आहे ?” होगा । यहाँ हिंदी और मराठी की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं दिखता है क्योंकि दोनों की संरचना लगभग समान है ।

2. व्याकरणिक इकाई शिफ्ट (Class Shift) : इस शिफ्ट के अंतर्गत अनुवाद के दौरान होने वाले व्याकरणिक कोटियों के परिवर्तन को व्याकरणिक इकाई शिफ्ट कहा जाता है । जैसे : He died yesterday.” का अनुवाद “वह कल मार् गया” से अधिक उचित “उसकी कल मृत्यु हो गई / उसका कल निधन हो गया / उसका कल स्वर्गवास हो गया” आदि ज्यादा उचित प्रतीत होता है ।  अंग्रेजी में जहाँ ‘He’ सर्वनाम है, वहीं हिंदी में उसकी/उसका निजवाचक विशेषण है ।

3. यूनिट शिफ्ट (Unit Shift) : यूनिट शिफ्ट में अनुवाद के बाद संदेश लक्ष्य भाषा में पूर्णतः दूसरा ही रूप धारण कर लेता हैयूनिट की जगह पर रैंक शब्द का प्रयोग कैटफर्ड को इसके लिए ज्यादा उचित प्रतीत होता है, लेकिन चूँकि इसका प्रयोग पहले ही हैलिडे ने कर दिया था, इसलिए वे यूनिट शब्द का प्रयोग करते हैं

4. अंत: भाषायी शिफ्ट (Intra-system shift) : इस शिफ्ट में बहुत की करीबी भाषाओं के अनुवाद में शिफ्ट होता है। यह शिफ्ट को हिंदी और उर्दू के मध्य देखा जा सकता है । भाषाविज्ञान की दृष्टि से हिंदी और उर्दू दो अलग-अलग भाषाएँ नहीं हैं। इसलिए इनके मध्य अनुवाद के दौरान कुछ शब्दों का अंतर और लिपि की भिन्नता दिखती है। इन्हें one language, two scriptभी कहा जाता है। दृष्टांत हेतु “आपका नाम क्या है?” का उर्दू में अनुवाद “इस्मे-शरीफ क्या है ?” या “آپ کا نام کیا ہے؟(लिप्यंतरण : आपका नाम क्या है?) ही होगा।

            इस प्रकार, शिफ्ट अनुवाद के दौरान होने वाला परिवर्तन है जो स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में कई स्तरों पर होता है । कैटफर्ड ने अनुवाद के भाषावैज्ञानिक पक्ष पर विशेष ध्यान दिया है। इन शिफ्टों की जानकारी से निस्संदेह हमें स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा को समझने में सहायता मिलती है । किंतु, इससे अनुवाद कर्म की गुणवत्ता को सुधरने में कोई विशेष सहायता मिलती नहीं दिखती । सफल एवं कुशल अनुवाद हेतु अनुवाद अभ्यास अपरिहार्य है । 

Décrivez votre journée. / Décrivez vos/les activités de la journée.

                                                                            Ma journée

Je me réveille à 5 heures du matin. Après avoir du café, je me lève. Puis, je me brosse les dents. Ensuite, je prends une douche et je m'habille. Puis, je prends le petit-déjeuner. Ensuite, je lis de journal / le quotidien. À 11 heures, je pars pour mes cours. J’assiste au cours de 11 heures et demie à 13 heures et demie. À 13 heures et demie, je reviens à la résidence universitaire et je déjeune à la cantine universitaire. Puis, je me repose pour une demie heure. Ensuite, je repars pour mes cours à trois heures moins le quart (2h45). J'assiste au cours de 3 heures à 5 heures de l’après-midi. Puis, je vais à la bibliothèque. Dans la bibliothèque, j'étudie les manuels de français pour deux heures. Je sors de la bibliothèque à 7 heures du soir. Ensuite, je vais au stade. Là-bas, je joue au badminton pour une heure avec mes amis. À 8 heures, je rentre chez moi. À 8 heures et quart, je dine. Puis, je me promène. Quelques fois, je vais au marché. Ensuite, je fais mes devoirs. Apres avoir fini les devoirs, je regarde un film français pour améliorer ma langue. À 11 heures, je vais me coucher et je dors.

सोमवार, 13 फ़रवरी 2023

Décrivez votre maison.

                                                                         Ma maison

Je m’appelle ____. J’habite au centre-ville à Bengaluru. J’habite dans une maison de trois étages. Au rez-de-chaussée, il y a trois chambres, une cuisine, une salle à manger, un salon, une salle de bains et deux toilettes. Il y a un garage aussi pour garer la voiture. Il y a un petit parc devant ma maison. Au premier étage, il y a une salle d’étude où j’étude. Il y a aussi deux autres chambres, deux salles de bains, et une salle de prière. Au deuxième étage, il y a un petit jardin, une cuisine et une chambre. Nous pouvons y jouons aux échecs et au ping-pong. Ma maison est très claire. Je me sens à l’aise chez moi. 

Décrivez votre ville.

                                                                          Ma ville

J’habite à Ranchi. Ranchi est la capitale de l’état indien du Jharkhand. Elle est la deuxième ville la plus peuplée. Elle est entourée par des forêts. Elle est connue pour son climat plaisant/ Il fait beau ici. La ville a de nombreuses cascades et est connue comme la “ville des chutes d’eau et des lacs.” Il y a plusieurs temples célèbres. J’aime visiter le temple Sai Baba de Lapung. Il y a de nombreux magasins et centres commerciaux. Il y a des restaurants qui servent la bonne nourriture. J’aime les plats de Kaveri et Seasons. Elle possède certaines des instituts de premier plan comme BIT, IIM et XISS. J’aime voyager dans la ville, mais je n’aime pas la circulation ici. 

Décrivez votre cours de français.

                                                                 Cours de français

Je m’appelle _______. Je suis une étudiante de licence (B.A.) en troisième semestre. J’apprends la langue française. Nous apprenons le français pour trois heures chaque jour. Nous commençons à 03 heures de l’après-midi et il finit à 6h du soir. Le français est très important. C’est intéressant. Nous étudions le livre ‘jumelage’ dans la classe de français. On utilise un manuel de français, un dictionnaire et un cahier d'exercices. La grammaire est facile mais le vocabulaire est difficile. Il est difficile de parler. Il est difficile mais c’est un plaisir d’apprendre une nouvelle langue. Le professeur de français est bon. Il nous enseigne très bien. Il est interdit de déranger dans la classe. Il ne faut pas faire de bruit. J’aime beaucoup mon cours de français et je m’amuse aussi dans la classe.

Présentez votre famille.

                                                                         Ma famille

Je m'appelle X. Je suis une étudiante de BA en troisième semestre. Je voudrais être une chef d’entreprise. Je suis une fille joyeuse. Il y a six membres dans ma famille : ma grand-mère, mon père, ma mère, mon frère, mon chien et moi. Je suis la deuxième enfant de mes parents. Mon père est un homme d’affaire et ma mère est une femme au foyer. Mon père s’appelle ______. Il a _____ ans. Mon père est travailleur. Ma mère s’appelle ______. Elle a _____ ans. Ma mère est très belle et bienveillant. Elle est médecin. Mais, elle gère très bien la famille. J’ai un frère ainé. Il a _____ ans. Mon frère a étudié la loi à Kolkata. Il travaille chez l'Infosys. Il est génial.  Ma grand-mère vit aussi avec nous. Elle s’appelle ____. Elle est très vielle mais elle est travailleuse. Elle est une grande dame. J'aime beaucoup ma grand-mère. J’ai un chien qui s’appelle Léo. Il est très mignon. Il a un an. J’aime tout le monde dans ma famille, mais je suis plus attaché à mon père. 

Présentez-vous !

                                                                 Présentez-vous !

Bonjour ! Je m’appelle_______. Je suis indien(ne). J’ai _____ ans. Je suis étudiant(e). Je suis de Ballia, Uttar Pradesh. Mais, j’habite à Wardha, au Maharashtra. Je fais mes études à l’université MGAHV à Wardha. Je suis en deuxième année de licence (B.A.). Je parle trois langues couramment : hindi, anglais et marathi (Je peux parler trois langues couramment : hindi, anglais et marathi). J’apprends le français ces jours-ci. J’aime jouer au foot. J’adore le lecture. Je n’aime pas gaspiller du temps. Je voudrais travailler comme un informaticien. (Je voudrais devenir un informaticien). Je suis sincère, à l’écoute et très organisé(e). 

रविवार, 5 फ़रवरी 2023

उपन्यास (Novel)

                                                                                 उपन्यास

उपन्यास गद्य-शैली में लिखा गया वह अन्यतम विधा है जिसके मूल में कथा है। काव्य एवं नाटक का कथातत्व इनकी काव्यात्मकता एवं रंगमंचीयता से भिन्न उपन्यास के रूप में विकसित हुआ। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि उपन्यास कथात्मक कथा का एक अपेक्षाकृत लंबा काम है, जिसे आम तौर पर गद्य में लिखा जाता है और पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जाता है। इसे कल्‍पना-प्रसूत कथा भी कहा जाता है। यह एक लंबा काल्पनिक (fictional) आख्यान (narrative) है।

बृहत् हिंदी कोश उपन्यास को इस प्रकार परिभाषित करता है – “कल्पित और काफ़ी लंबी कहानी जिसमें प्रायः बहुत से पात्र हों तथा जीवन की विविध बातों का चित्रण हो, ‘नावेल  (बृहत् हिंदी कोश, पृ.-174)” उपन्यास को इसके अंग्रेजी नाम ‘novel’ से कई भारतीय भाषाओं ‘नावेल’ या ‘नाविल’ के नाम से जाना जाता है । अंग्रेजी में यह  novela अर्थात् नया (new) एवं भिन्न के अर्थ में लिया जाता था क्योंकि यह विधा सर्वथा नयी थी । मराठी एवं कन्नड़ में इसे ‘कादंबरी के नाम से जाना जाता है । उपन्यास को गुजराती में ‘नवलकथा’ (નવલકથા), तेलुगु में ‘नवल’ (నవల), तमिळ एवं मलयालम में ‘नावेल (நாவல்) एवं (നോവൽ) कहा जाता है । हिंदी में इस शब्द का प्रयोग संभवतः बंगला से आया है । उपन्यास को बंगला, ओड़िया एवं असमिया में इसी नाम से जाना जाता है । फ्रांसीसी भाषा में उपन्यास विधा को ‘रोमौं’ (Roman) कहा जाता है।

उपन्यास की एशियाई परंपरा यथा चीनी, जापानी एवं कोरियाई संस्कृति में उपन्यास को ‘लंबी गपशप’ या ‘लंबी छोटी बातचीत’ (long length small talk - 長篇小 ) कहा जाता है। दरअसल चीनी परंपरा से इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग आरंभ हुआ। चीनी परंपरा में साहित्यिक कृतियों को ‘छोटी बातचीत, ऐतिहासिक लेखन को ‘माध्यमिक बातचीत एवं दर्शन और शाश्वत नियमों पर आधारित लेखन को ‘महान बातचीत कहा जाता था। स्पष्ट है कि यहाँ छोटी, माध्यमिक एवं महान बढ़ते क्रम में हैं तथा दार्शनिक एवं तात्विक लेखन को ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता था।

विश्व के प्रथम उपन्यासों में निम्नलिखित उपन्यास महत्वपूर्ण हैं -

1.       गर्गौंतुआ और पोंताग्रूएल का जीवन (English: The Life of Gargantua and of Pantagruel , French: La vie de Gargantua et de Pantagruel, 1532-1564) यह 16वीं शताब्दी में फ़्रौंस्वा राबले (François Rabelais) द्वारा लिखे गए पाँच उपन्यासों की एक शृंखला है, जिसमें गर्गौंतुआ और उसके पुत्र पोंताग्रूएल नामक दो विशालकाय चरित्रों के जीवन, उनकी यात्राएं एवं अनुभवों को चित्रित किया गया है। इस फ्रांसीसी उपन्यास में मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान एवं अनुभव, दर्शन आदि की बात की गयी है।           (https://en.wikipedia.org/wiki/Gargantua_and_Pantagruel )

2.       मिगेल दे सेरवांतेस (Miguel de Cervantes) की कृतिदोन किखोते दे ला मांचा (Don Quixote de la Mancha) (1605, 1615) को कई विद्वान सही अर्थों में विश्व का पहला उपन्यास मानते हैं। स्पेनिश भाषा में रचित यह उपन्यास सबसे ज्यादा अनूदित उपन्यासों में से एक है। इसे विश्व के सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों में भी गिना जाता है। (https://en.wikipedia.org/wiki/Don_Quixote)

3.       मादाम द लाफायेत (Madame de La Fayette) की कृति प्रिंसेस दे क्लैव (La Princesse de Clèves) को मार्च 1678 में बिना किसी रचयिता के नाम के प्रकाशित किया गया था। इसे कई विद्वानों ने मनोवैज्ञानिक एवं ऐतिहासिक उपन्यास की परंपरा की शुरुआत मानते हैं। यह फ्रांसीसी उपन्यास पत्र शैली में लिखा गया संभवत: पहला उपन्यास है।  (https://en.wikipedia.org/wiki/La_Princesse_de_Cl%C3%A8ves )

4.       अंग्रेजी साहित्य के के कुछ प्रमुख उपन्यासकार निम्नलिखित हैं :

डानियल डफ़ो (Daniel Defoe) की रॉबिंसन क्रुसो  (Robinson Crusoe-1719) को अँग्रेजी के शुरुआती उपन्यासों में गिना जाता है।

सामुएल रिचार्डसन (Samuel Richardson (1707-1754)) को पत्रात्मक शैली (epistolary novels) के उपन्यासों के लिए जाना जाता है। इनके कुछ प्रसिद्ध उपन्यास हैं - Pamela; or, Virtue Rewarded (1740), Clarissa: Or the History of a Young Lady (1748), The History of Sir Charles Grandison (1753)

हेनरी फील्डिंग (Henri Fielding) का उपन्यास टॉम जोन्स (Tom Jones - 1749) को शुरुआती श्रेष्ठ उपन्यासों में गिना जाता है। इसे फील्डिंग का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है जिसका बाद के उपन्यासों पर विशेष प्रभाव पड़ा ।

गद्य उपन्यास के विकास को मुद्रण में नवाचार और 15वीं शताब्दी में सस्ते कागज की शुरूआत से प्रोत्साहन मिला। पद्य को याद रखना एवं दूसरे से कहना आसान था एवं लिखित पुस्तक की प्रतिलिपि बनाना प्रिंटिंग प्रेस के विकास से पूर्व एक कठिन कार्य था। इसीलिए प्रिंटिंग प्रेस के विकास से पूर्व अधिकांश साहित्य पद्य में ही रचे गए तथा यह भी ध्यान देने की बात है कि पद्य में लिखा साहित्य अपनी गेयता, गीतात्मकता आदि के कारण ही पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित-संरक्षित रहा ।

उपन्यास की कई विशेषताओं हो सकती हैं जिनमें से कुछ निम्नवत हैं -  

1.       काल्पनिक आख्यान

2.       साहित्यिक गद्य शैली

3.       अंतरंगता का अनुभव

4.       लंबाई

5.       पात्र

हिंदी में 'नावेल' के अर्थ में 'उपन्यास' शब्द का प्रथम प्रयोग संभवतया भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 1875 ई. में 'हरिश्चन्द्र चन्द्रिका' में प्रकाशित अपनी अपूर्ण रचना 'मालती' के लिए किया था। ब्रजरत्न दास के अनुसार, भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 'कुछ आपबीती कुछ जग बीती' नाम से एक उपन्यास लिखा था। किंतु, आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने सन् 1882 में प्रकाशित लाला श्रीनिवास दास कृत 'परीक्षा गुरु' को अंग्रेजी के ढंग का हिंदी का पहला मौलिक उपन्यास माना है। हिंदी के प्रथम उपन्यास के बारे में विद्वानों का एक मत नहीं है,  अलग-अलग लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न रचनाएँ मानी गई हैं, कुछ दृष्टांत निम्नलिखित हैं –

प्रस्तोता / समालोचक

उपन्यास

प्रकाशन वर्ष

उपन्यासकार

डॉ. गोपाल राय

देवरानी जेठानी की कहानी

1870 ई.

पं. गौरी दत्त

डॉ विजयशंकर मल्ल

भाग्यवती

1877 ई.

श्रद्धाराम फिल्लौरी

श्री रामचंद्र शुक्ल

परीक्षा-गुरु

1882 ई.

लाला श्रीनिवास दास

 

हिंदी के महान लेखक उपन्यास के मूल तत्व को अपने लेख ‘उपन्यास’ में बताते हैं -  मैं उपन्यास को मानव-चरित्र का चित्र मात्र समझता हूँ। मानव-चरित्र पर प्रकाश डालना और उसके रहस्यों को खोलना ही उपन्यास का मूल तत्त्व है।” (प्रेमचंद 2008: 47)

सन् 1888 में प्रकाशित देवकीनंदन खत्री द्वारा रचित हिंदी के आरंभिक उपन्यासों में से एक उपन्यास ‘चंद्रकांता’ हिंदी का पहला लोकप्रिय उपन्यास ही जिसने लोगों को हिंदी वर्तनी सीखने एवं  हिंदी पढ़ने के लिए प्रेरित किया।

उपन्यास के निम्नलिखित तत्व माने जाते हैं, जिनका ध्यान उपन्यास के अनुवाद हेतु भी महत्वपूर्ण है –

कथानक

चरित्र चित्रण और पात्र

कथोपकथन

देशकाल एवं वातावरण

भाषा-शैली

उद्देश्य

 

 

उपन्यास के कई प्रकार हैं, जिनमें कुछ इस प्रकार हैं :

 

ऐतिहासिक उपन्यास (Historical novel), 

पिकरेस्क उपन्यास (Picaresque novel),

संवेदनशील उपन्यास  (Sentimental novel),

गोथिक उपन्यास (Gothic novel),

मनोवैज्ञानिक उपन्यास (Psychological novel),

novel of manners,

Bildungsroman

पत्र शैली का उपन्यास (Epistolary novel),

आंचलिक उपन्यास (Pastoral novel),

roman à clef,

antinovel,

cult novel,

जासूसी उपन्यास (detective novel),

रहस्य उपन्यास (mystery novel),

थ्रिलर उपन्यास (thriller novel),

पश्चिमी उपन्यास (western novel),

फ़ंतासी  (fantasy novel/),

सर्वहारा (proletarian)

 

 

संदर्भ ग्रंथ :

प्रेमचंद. (2008). कुछ विचार. इलाहाबाद : लोकभारती.