कैटफर्ड और उनका शिफ्ट सिद्धांत
अनुवाद ऐसी प्रक्रिया है
जिसमें दो भाषाएँ शामिल हैं। स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में अनुवाद के क्रम में जो
बदलाव, परिवर्तन या विचलन होते हैं, उन्हें ‘शिफ्ट’ के नाम से जाना जाता है। जॉन
कनिसन कैटफर्ड (J.C. Catford) ने
शिफ्ट को अनुवाद प्रक्रिया के रूपात्मक समानता (formal correspondence) से प्रस्थान के रूप में
परिभाषित किया है। कैटफर्ड (26 मार्च 1917 – 6 अक्टूबर 2009) एक स्कॉटिश मूल के अमरीकी
भाषावैज्ञानिक एवं अनुवाद चिंतक थे। वे कई भाषाओं के जानकार थे और अनुवाद पर उनकी
पहली पुस्तक ‘A Linguistic Theory of Translation’ सन 1965 में प्रकाशित
हुई। वे अनुवाद को भाषा पर होने वाली प्रक्रिया मानते थे इसलिए वे अनुवाद के
भाषायी पक्ष के अध्ययन में विशेष रुचि रखते थे। इसी पुस्तक के 12वें अध्याय में वे
अनुवाद शिफ्ट की संकल्पना के बारे में विस्तार से विवेचन करते हैं।
शिफ्ट
को कैटफर्ड से पहले ज़े.पी. विने और ज़े. दारबेलने ने भी अपनी अनुवाद प्रविधि में
शिफ्ट की तरह ही बदलाव की चर्चा की है। कैटफर्ड के अनुसार शिफ्ट अनुवाद के दौरान
रूपात्मक स्तर पर होने वाला परिवर्तन है। रूपात्मक या रूपीय समानता से यहाँ
तात्पर्य पाठ के स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा में रूपीय स्तर की समानता से है। शिफ्ट
के मुख्यत: दो प्रकार माने जाते हैं : 1. स्तर शिफ्ट (Level Shift)
एवं 2. कोटि शिफ्ट (Category Shift) ।
स्रोत
भाषा से लक्ष्य भाषा में अनुवाद के दौरान होने वाले ‘भाषायी
स्तर’ पर विचलन या परिवर्तन को स्तर शिफ्ट के रूप
में परिभाषित किया गया है। हर भाषा में काल, पक्ष आदि की संकल्पना अलग होती है और
अनुवाद के दौरान इनमें परिवर्तन होना स्वाभाविक है। भिन्न-भिन्न भाषाओं में
सामाजिक परिवेश एवं सांस्कृतिक मूल्य भी अलग होते हैं; अत: अनुवाद के दौरान उनके
अनुसार भी बदलाव होते हैं। हालाँकि कैटफर्ड ने केवल अनुवाद के भाषायी पक्ष पर ही
ज्यादा ध्यान दिया था और उन्होंने अपने अध्ययन में सामाजिक-सांस्कृतिक पक्ष का
अध्ययन नहीं किया है। उदाहरण के तौर पर, अंग्रेजी के वाक्य “ I
want to ask you something.” को
हिंदी में “ मैं आपसे/तुमसे कुछ पूछना चाहता था।” भी किया जा सकता है। यह ध्यान
देने की बात है कि जब भी हम इस तरह के विचार हिंदी भाषा में मौखिक रूप से रखते हैं
तो भूतकाल का ही प्रयोग करते हैं और यह स्वाभाविक भी है। कई बार जो चीजें स्रोत
भाषा में अनौपचारिक होती हैं, वहीं वे लक्ष्य भाषा में औपचारिक होती हैं। जैसे
अंग्रेजी में पिता या पापा के साथ संवाद अनौपचारिक हो सकता है, किंतु हिंदी में
सामान्यतया यह औपचारिक बातचीत होती है और संबोधन भी पिता के लिए औपचारिक ही होता
है। हम पिता जी के लिए हिंदी में ‘तुम’ का प्रयोग कम ही करते हैं।
कोटि शिफ्ट में अनुवाद के
क्रम में स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में संरचनात्मक, व्याकरणिक, इकाई एवं व्यवस्था
संबंधी परिवर्तन देखने को मिलते हैं । कैटफर्ड स्तर शिफ्ट से ज्यादा महत्व कोटि शिफ्ट को देते
हैं और शायद इसीलिए इसके चार प्रकारों की चर्चा भी करते हैं । कोटि शिफ्ट के चार प्रकार निम्नवत हैं
:
1. संरचनात्मक शिफ्ट (Structural
Shift) : जब स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में अनुवाद के
क्रम में वाक्य की संरचना या उनके शब्दों के क्रम बदल जाते हैं तो उन्हें संरचनात्मक
शिफ्ट के नाम से जाना जाता है। यह अनुवाद के दौरान होने वाला सबसे सहज और
सामान्य शिफ्ट है। जब स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा का वाक्य विन्यास समान नहीं होता
है तब यह देखने को मिलता है।
उदाहरण के लिए “What is your
name ?” को
हिंदी में “तुम्हारा/आपका नाम क्या है ?” के रूप में अनुवाद करेंगे । यहाँ लक्ष्य
भाषा के वाक्य की संरचना में अंतर स्पष्ट दिखता है । वहीं यदि इसे हिंदी से मराठी
में अनुवाद करें तो यह “तुझं / तुमचे नाव काय आहे ?” होगा । यहाँ हिंदी और मराठी
की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं दिखता है क्योंकि दोनों की संरचना लगभग समान है ।
2. व्याकरणिक इकाई शिफ्ट (Class
Shift) : इस
शिफ्ट के अंतर्गत अनुवाद के दौरान होने वाले व्याकरणिक कोटियों के परिवर्तन को व्याकरणिक
इकाई शिफ्ट कहा जाता है । जैसे : “He
died yesterday.” का अनुवाद “वह कल मर गया” से अधिक उचित “उसकी कल मृत्यु
हो गई / उसका कल निधन हो गया / उसका कल स्वर्गवास हो गया” आदि ज्यादा उचित प्रतीत
होता है । अंग्रेजी में जहाँ ‘He’
सर्वनाम है, वहीं हिंदी में उसकी/उसका निजवाचक विशेषण है ।
3. यूनिट शिफ्ट (Unit Shift) : यूनिट शिफ्ट में अनुवाद के बाद संदेश लक्ष्य भाषा
में पूर्णतः दूसरा ही रूप धारण कर लेता है । यूनिट की जगह पर रैंक शब्द का प्रयोग कैटफर्ड को इसके लिए ज्यादा
उचित प्रतीत होता है, लेकिन चूँकि इसका प्रयोग पहले ही हैलिडे ने कर दिया था,
इसलिए वे यूनिट शब्द का ही प्रयोग करते हैं ।
4. अंत: भाषायी शिफ्ट (Intra-system
shift) : इस शिफ्ट में बहुत की
करीबी भाषाओं के अनुवाद में शिफ्ट होता है। यह शिफ्ट को हिंदी और उर्दू के मध्य
देखा जा सकता है । भाषाविज्ञान की दृष्टि से हिंदी और उर्दू दो अलग-अलग
भाषाएँ नहीं हैं। इसलिए
इनके मध्य अनुवाद के दौरान कुछ शब्दों का अंतर, एक वचन-बहुवचन और लिपि की भिन्नता मात्र ही दिखती
है। इन्हें “one language, two script” भी कहा जाता है। दृष्टांत
हेतु “आपका नाम क्या है?” का उर्दू में अनुवाद “इस्मे-शरीफ क्या है ?” या “آپ کا نام کیا ہے؟” (लिप्यंतरण : आपका नाम क्या है?) ही होगा।
इस प्रकार, शिफ्ट
अनुवाद के दौरान होने वाला परिवर्तन है जो स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में कई
स्तरों पर होता है । कैटफर्ड ने अनुवाद के भाषावैज्ञानिक पक्ष पर विशेष ध्यान दिया
है। इन शिफ्टों की जानकारी से निस्संदेह हमें स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा को समझने
में सहायता मिलती है । किंतु, इससे अनुवाद कर्म की गुणवत्ता को सुधरने में कोई
विशेष सहायता मिलती नहीं दिखती । सफल एवं कुशल अनुवाद हेतु अनुवाद अभ्यास
अपरिहार्य है ।
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