बुधवार, 28 सितंबर 2022

 

मेरा परिवार (कुटुंब)

My family

मेरा नाम ______ है मेरा परिवार एक संयुक्त / एकल परिवार है मेरे परिवार में ______ सदस्य (लोग) हैं मेरे पिता जी / पापा का नाम श्री __________________ है वे ______________हैं उनकी आयु ____ वर्ष है मेरी माता जी का नाम श्रीमती ________________ है वे  _____________ हैं उनकी उम्र __________ साल है मेरे ____ भाई और ____ बहन हैं मेरा बड़ा भाई _______ वर्ष का है वह _______ कक्षा में पढ़ता है उसे क्रिकेट खेलने पसंद है मेरा छोटा भाई कक्षा ____ में पढ़ता है वह थोड़ा नटखट और शरारती है वह पूरे दिन /दिन भर इधर से उधर भागता रहता है  मेरी बहन का नाम __________ है वह बहुत शालीन एवं मेधावी है वह कक्षा _______ में पढ़ती है उसे चिड़ियों एवं जानवरों के साथ खेलना पसंद है हमारे पास एक कुत्ता एवं दो बिल्लियाँ भी हैं मेरे कुत्ते का नाम ______ है तथा बिल्लियों का नाम ____________ एवं ___________ है मेरा कुत्ता बड़ा ही प्यारा है मेरी बिल्लियाँ बड़ी ही चालाक हैं एवं वे दिन भर हमारे आगे-पीछे घूमती रहती हैं मेरे दादा-दादी दूसरे शहर में रहते हैं हम सप्ताहांत (वीक-एंड) में उनसे प्राय: / अकसर (अक्सर) मिलने जाते/ जाया करते हैं मेरे चाचा और चाची भी वहीं दादा-दादी के साथ रहते हैं ... हम एक-दूसरे का ध्यान / खयाल रखते हैं   ...मेरा परिवार एक सुखी परिवार है मुझे अपना परिवार बहुत प्रिय/प्यारा है

 

अपना परिचय / स्वयं का परिचय

Self-Introduction

नमस्ते ! नमस्कार !

1.                 मेरा नाम _________________ है (नाम)

2.                 मैं ______________ हूँ  (व्यवसाय, नागरिकता )

3.                 मैं ______________ हूँ  (व्यवसाय, नागरिकता )

4.                 मेरी उम्र / आयु ________ वर्ष/साल है  (आयु)

5.                 मैं ________ वर्ष / साल का हूँ  (आयु)

6.                 मैं __________ से आया / आई हूँ  -- मैं ___________ का रहने वाला/वाली हूँ

7.                 मैं ____________ में रहती हूँ (निवास)

8.                 मैं _________, ___________ और __________ भाषाएँ बोल सकता / सकती हूँ

9.                 मैं वर्तमान / आजकल में _________ सीख रहा / रही हूँ

10.           मुझे फुटबॉल खेलना / देखना पसंद है

11.           मुझे संगीत सुनना अच्छा लगता है

12.           भारतीय संगीत एवं चित्रकला में मेरी गहरी रुचि है

13.           हिंदी फ़िल्में भी मुझे अच्छी लगती हैं

14.           मुझे समय काटना या बर्बाद करना पसंद नहीं है

15.           भारतीय व्यंजन/भोजन _____________ पसंद नहीं हैं/है

16.           मैं हिंदी __________ के लिए सीख रहा / रही हूँ

बुधवार, 21 सितंबर 2022

 

भारत में अनुवाद प्रशिक्षण की आवश्यकता

भारत में अनुवाद प्रशिक्षण की अपरिहार्य आवश्यकता है। भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है और जब पूरी दुनिया आधुनिकता के इस दौर में एक-दूसरे के और करीब आ चुकी है और आपस में भाषाई लेन-देन बढ़ चुका है। इन परिस्थितियों में अनुवाद की महत्ता पहले से कहीं अधिक बढ़ गयी है और इसीलिए अनुवाद प्रशिक्षण अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है। अनुवाद प्रशिक्षण की आवश्यकता एवं व्यवस्था पर विस्तृत चर्चा करने से पहले हमारा यह जानना भी अपरिहार्य है कि अनुवाद प्रशिक्षण क्या है।

शिक्षणशब्द में प्रउपसर्ग लगने से प्रशिक्षणशब्द बना है। प्रउपसर्ग उत्कर्ष, उत्कृष्ट, अतिशय, आगे, अधिक, गति, या, उत्पत्ति, व्यवहार आदि अर्थों में प्रयोग होता है। इस प्रकार, व्युत्पत्ति की दृष्टि से प्रशिक्षणशब्द अधिक या अतिशय शिक्षणको दर्शाता है। वास्तव में यह शिक्षण की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है। प्रशिक्षणका सामान्य एवं व्यवहारिक अर्थ है किसी कार्य को करने से संबंधित ज्ञान, अभ्यास, निपुणता/योग्यता को व्यवस्थित ढंग से एवं क्रमबद्ध तरीके से सीखना-सिखाना। अर्थात प्रशिक्षण का अर्थ ज्ञान एवं कौशल अर्जित करने से है। इस तरह प्रशिक्षण को किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए ज्ञान, कौशल एवं उसका व्यावहारिक प्रयोग सीखने की एक संगठित एवं सुव्यवस्थित प्रक्रिया कहा जा सकता है। अनुवाद प्रशिक्षण से तात्पर्य अनुवाद क्या है एवं इसकी क्या-क्या संकल्पनाएँ हैं सीखना नहीं है बल्कि विभिन्न अनुवाद किस प्रकार संपादित होते हैं उनका व्यावहारिक ज्ञान अर्जित करना है। अनुवाद प्रशिक्षण से अनुवादक की अनुवाद क्षमता एवं कौशल में उन्नयन होता है।

अनुवाद प्रशिक्षण की आवश्यकता इसलिए है कि व्यक्ति कम समय एवं उचित प्रयास से प्रशिक्षण के माध्यम से कुशल अनुवादक बन सकता है। आज भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में दुभाषिये एवं अनुवादकों की मांग बहुत अधिक है। कार्य करने से कुशलता आती है अर्थात कुछ लोग मानते हैं कि अनुवाद करते-करते व्यक्ति कुशल अनुवादक अपने अनुवाद अनुभव से बन ही जाता है लेकिन इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है। अनुवाद प्रशिक्षण अनुभवी विशेषज्ञों की मदद से संपन्न कराया जाता है। जो समस्या अनुवादक कई वर्षों में देखेगा वह विशेषज्ञों के अनुभव से सीख सकता है तथा उन समस्याओं का निस्तारण कैसे हो इसका भी संभव उत्तर जान पाता है। मनुष्य दूसरों अर्थात पूर्व के अनुभवों से सीखता है। अनुवादक भी पूर्व के अनुवादकों से सीख सकता है और कार्य कुशल बन सकता है। इससे उसके जीवन के कई वर्ष बच जाएँगे और वह पूर्ववर्ती कार्य को आगे बढ़ा सकता है।

भारत में अनुवाद प्रशिक्षण 20वीं सदी के अंतिम वर्षों में शुरू हुआ है। केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो अपने कई अनुवाद प्रशिक्षण कार्यशाला संचालित करता है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) का इस दिशा में काफी सराहनीय प्रयास रहा है। अनुवाद को स्वतंत्र अध्ययन का क्षेत्र मानते हुए विश्वविद्यालय ने सन् 2007 में अनुवाद अध्ययन एवं प्रशिक्षण विद्यापीठकी स्थापना की। सन् 2009 से विद्यापीठ में पूर्णकालिक अनुवाद प्रशिक्षण एवं अनुवाद अध्ययन में एम। ए।की पढ़ाई शुरू हुई और अब दूर शिक्षा से भी इस कार्यक्रम का संचालन होता है। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (MGAHV), वर्धा का भी इसमें उल्लेखनीय योगदान रहा है तथा अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ सन् 2003 से ही अनुवाद में प्रशिक्षण एवं अनुवाद में एम.ए. कार्यक्रम का सफल संचालन कर रहा है। भारतीय भाषा संस्थान (Central Institute of Indian Languages) के अंतर्गत भारतीय अनुवाद मिशन का भी अहम योगदान है तथा इसके अंतर्गत सन् 3013 से अनुवाद प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न विश्वविद्यालयों के कई पाठ्यक्रमों जैसे एम. ए. हिंदी, अंग्रेजी, भाषाविज्ञान आदि में अनुवाद एक पाठ्यचर्या के रूप में शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न विश्विद्यालयों में इसके सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। हालाँकि वर्तमान व्यवस्था मांग एवं गुणवत्ता के अनुसार पर्याप्त नहीं है। इस दिशा में और कार्य करने की जरूरत है।

नई शिक्षा नीति 2019 के अंतर्गत भी अनुवाद को बढ़ावा देने की सिफ़ारिश की गयी है तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) की तर्ज पर भारतीय अनुवाद एवं निर्वचन संस्थान’ (Indian Institute of Translation and Interpretation) की स्थापना की बात करता है (P.4.8.4)। नई शिक्षा नीति में अनुवाद के प्रशिक्षण पर बहुत महत्व दिया गया है और हम आशा करते हैं कि भविष्य में अनुवाद प्रशिक्षण हेतु अन्य कई विश्वविद्यालय एवं संस्थान स्थापित किये जाएँगे तथा अन्य विश्वविद्यालयों में भी अलग से इसके लिए पाठ्यक्रम शुरू किये जाएँगे।

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

 

व्यक्ति बोली (idiolect) एवं क्षेत्रीय बोली (dialect)

भाषा प्रमुखतया वाचिक या मौखिक होती है लेखन का विकास भाषा के लिए बाद की घटना है तथा लिपि भाषा के लिए प्रौद्योगिकी के सामान है। भाषा-व्यवहार के अंतर्गत हम व्यक्ति बोली (idiolect) एवं क्षेत्रीय बोली (dialect) का अध्ययन करते हैं भाषा का प्रयोग एवं व्यवहार परिवेश, भूगोल, क्षेत्र, आदि के अनुसार अलग-अलग होता है। हम जिस प्रकार से अपने परिवार के लोगों से बात करते हैं, उसी प्रकार से कार्यालय, विद्यालय आदि औपचारिक स्थलों पर बात नहीं करते। हम जिस प्रकार से अपने घनिष्ठ या करीबी मित्रों से बात करते हैं, उसी प्रकार की भाषा का प्रयोग किसी अनजान या अपरिचित व्यक्ति से बात करते समय नहीं करते हैं । हम यह भी देखते हैं कि एक ही भाषा भिन्न-भिन्न भौगोलिक स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरीके से बोली जाती है। औपचारिक परिवेश में हम औपचारिक भाषा का प्रयोग करते हैं, किंतु अनौपचारिक परिवेश में हम दूसरे तरीके से बात करते हैं। अलग-अलग समाज का वर्ग अपनी शिक्षा-दीक्षा, सामाजिक स्थिति के कारण भिन्न-भिन्न तरीके से भाषा का प्रयोग करता है। उदाहरण के लिए, जिस प्रकार की हिंदी लखनऊ में बोली जाती है उसी प्रकार की हिंदी मुंबई में नहीं बोली जाती। इस प्रकार, भाषा व्यवहार भाषा की विविध और विषमरूपी प्रकृति है।

प्रत्येक व्यक्ति की किसी भाषा में अपने भावों और विचारों को व्यक्त करने की अपनी एक अलग शैली होती है। व्यक्ति बोली (idiolect) किसी व्यक्ति के द्वारा भाषा का वह अनूठा प्रयोग है, जिसमें शब्दावली का चयन और प्रयोग, व्याकरण, उच्चारण, तान-अनुतान आदि शामिल है। हर व्यक्ति एक ही भाषा को अलग-अलग तरीके से बोलता है। हम लेखकों, नेताओं-अभिनेताओं आदि के भाषा प्रयोग में भी अंतर देख सकते हैं। इस प्रकार, व्यक्ति विशेष के द्वारा बोली जाने वाली अनूठा प्रयोग को ही व्यक्ति बोली (idiolect) कहा जाता है। किसी व्यक्ति की भाषा की व्यक्तिगत विशेषताएं व्यक्ति बोली के अंतर्गत रखी जा सकती हैं।

जैसा कि ऊपर हमने देखा है विभिन्न क्षेत्रों में एक ही भाषा अपने भूगोल के अनुसार अलग-अलग तरीके से बोली जाती है। उस पर क्षेत्रीयता का प्रभाव देखने को अवश्य मिलता है; यथा हैदराबादी हिंदी, मुम्बइया हिंदी, लखनऊ की हिंदी आदि। इस प्रकार, किसी भाषा के क्षेत्रीय प्रकारों को हम क्षेत्रीय बोली (dialect) के नाम से जानते हैं। भाषा में क्षेत्रीय विशेषताओं को हम क्षेत्रीय बोली (dialect) के अंतर्गत रखते हैं।

भाषा व्यवस्था (Langue) एवं भाषा व्यवहार (Parole)

भाषा व्यवस्था (Langue system) एवं भाषा व्यवहार (Language use) की अवधारणा फ़र्दिनौंद द सोस्युर (Ferdinand de Saussure) द्वारा प्रतिपादित ‘लौंग’ (Langue) एवं ‘पारोल’ (Parole) की संकल्पना में निहित है। इस संकल्पना का उल्लेख उनकी पुस्तक ‘cours de linguistique générale’ (कोर्स इन जनरल लिंग्विस्टिक्स) में किया गया है। फ्रांसीसी भाषा का शब्द ‘लौंग’ (Langue) किसी भाषा विशेष को सूचित करता है। भाषा-व्यवस्था अर्थात ‘लौंग’ किसी भाषा विशेष की संरचना के निश्चित नियमों का निर्धारण करती है जो अमूर्त होते हैं। ‘लौंग’  अपनी प्रकृति में निश्चित, निर्धारित, परिगणनीय एवं समरूपी (homogenous) होती है। भाषा-व्यवस्था अर्थात ‘लौंग’ समष्टिगत सत्ता है। उदाहरण के लिए, हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच आदि अलग-अलग भाषा-व्यवस्थाएँ (Langue) हैं।

भाषा व्यवहार या ‘पारोल’ (Parole) किसी प्रयोक्ता या व्यक्ति द्वारा व्यवहृत भाषा प्रयोग है। ‘पारोल’ (Parole) वक्ता का विशिष्ट वाक्-व्यवहार है। यह विषमरूपी होती है तथा इसमें व्यवहार करने का स्थान, व्यक्ति, वातावरण आदि से इसमें विविधता देखी जा सकती है। दृष्टांत के लिए, हिंदी एक भाषा व्यवस्था है लेकिन सभी लोग एक ही प्रकार की हिंदी का प्रयोग नहीं करते हैं । व्यवहृत हिंदी समय, स्थान, परिवेश एवं व्यक्ति के कारण अलग-अलग प्रकार से प्रयोग में लाई जाती है। प्रत्येक व्यक्ति अपने अनुसार भाषा का प्रयोग करता है, यह भाषा प्रयोग या व्यवहार ही ‘पारोल’ है। किसी भी भाषा में स्वनिमों (phoneme) की संख्या निश्चित है लेकिन स्वनों (phones) की संख्या असंख्य है। उदाहरण के लिए अंग्रेजी में स्वनिमों की संख्या मात्र 44 है लेकिन इन्हीं स्वनिमों से अनेकों सार्थक ध्वनियाँ अर्थात स्वन बनाए जा सकते हैं। स्वनिम (phoneme) भाषा व्यवस्था के अंतर्गत आता है जबकि स्वनों का प्रयोग भाषा व्यवहार के अंतर्गत आता है। भाषा व्यवस्था एवं भाषा व्यवहार को हम संगीत के उदाहरण से समझ सकते हैं। भारतीय संगीत में प्रत्येक राग का एक निश्चित एवं निर्धारित रूप होता है, लेकिन एक ही राग पर कई भिन्न-भिन्न गाने या संगीत तैयार किये जा सकते हैं। इसी प्रकार भाषा-व्यवस्था एक निश्चित व्यवस्था है जिसके कुछ निश्चित नियम होते हैं लेकिन इन्हीं नियमों से भाषा का प्रयोक्ता असंख्य रूप में इसे व्यवहृत करता है ।

भाषा-व्यवस्था अमूर्त एवं रूपपरक अधिक है जबकि भाषा-व्यवहार मूर्त एवं अभिव्यक्तिपरक अधिक है। किसी भाषा के व्याकरण में उस भाषा की व्यवस्थाओं एवं संरचनाओं के नियमों का निर्धारण होता है। भाषा का प्रयोक्ता व्याकरणिक नियमों का भले ही जानकार नहीं होता किंतु वह अपनी भाषा का प्रयोग करता है। 

सोमवार, 12 सितंबर 2022

 मुहावरों / लोकोक्तियों  के अनुवाद

 

क्रम

अंग्रेजी

हिंदी

1.      

Killing two birds with one stone

एक पंथ दो काज

2.      

To pay back in the same coin / Tit for tat

जैसे को तैसा

3.      

By tooth and nail

जी जान से

4.      

A bad workman quarrels with his tools

नाच न आवे आंगन टेढ़ा

5.      

Action speaks louder than words

कथनी से करनी भली`

6.      

Diamonds cuts diamonds

लोहे को लोहा काटता है

7.      

To make a mess of

गुड़ गोबर कर देना

8.      

The burnt child dreads the fire / Once bitten twice shy

दूध का जला छांछ फूंककर-फूंककर पीना / दूध का जला छांछ भी फूंककर पीता है

9.      

Familiarity breeds contempt

घर की मुर्गी दाल बराबर

10.  

Far fouls have fair feathers / The Grass is Greener on the Other Side

दूर के ढोल सुहावने होते हैं

11.  

Where there is a will there is a way

जहाँ चाह वहाँ राह

12.  

As thick as thieves

चोर-चोर मौसेरे भाई

13.  

Carefree sleep / to sleep like a log

घोड़े बेचकर सोना

14.  

Something is better than nothing

भागते भूत की लंगोट भली

15.  

To serve with the same sauce

सब धान बाईस पसेरी

16.  

Simple living high thinking

सादा जीवन उच्च विचार

17.  

A bad man in a bad company

एक तो० करेला दूजे नीम चढ़ा

18.  

To ask for it

आ बैल मुझे मार

19.  

All cats are grey in the dark

हमाम में सभी नंगे

20.  

Barking dogs seldom bite

जो गरजते हैं वो बरसते नहीं

21.  

Between the devil and the deep sea

आगे कुआँ पीछे खाई / इधर कुआँ उधर खाई

22.  

Cheap buyer takes bad meat

सस्ता रोए बार-बार महँगा रोए एक बार

23.  

Diversity is the rule of nature

पाँचों अंगुलियाँ बराबर नहीं होतीं

24.  

To cast pearls before the swine

भैंस के आगे बीन बजाना

25.  

Eagle does not hock at flies

शेर चूहों का शिकार नहीं करते

26.  

To fish in troubled water

पराई आग में हाथ सेंकना

27.  

It requires two to quarrel

एक हाथ से ताली नहीं बजती

28.  

Lesper can't change its spots

कुत्ते दम कभी सीधी नहीं होती

29.  

Once bitten twice shy

दूध का जला छांछ फूंककर-फूंककर पीना / दूध का जला छांछ भी फूंककर पीता है

30.  

To sell the skin before you have caught the bear

सूत न कपास जुलाहे से लट्ठमलट्ठा

31.  

See, which way the cat jumps

तेल देखो तेल की धार देखो

32.  

To send a sow to Minerva

नानी के आगे ननिहाल का बखान

33.  

To talk of chalk and hear of cheese

कहें खेत की सुने खलिहान की

34.  

You cannot make an omelette without breaking eggs

बिना मत्थे मक्खन नहीं निकलता / बिना परिश्रम फल नहीं मिलता

35.  

Bad penny always turns up

का बरसा जब कृषि सुखानी

36.  

Excess of everything is bad

अति सर्वदा वर्जयेत

37.  

Empty vessels make much noise

थोथा चना बाजे घना

38.  

Rich men have no faults

समरथ को नहीं दोस (दोष) गोसाई

39.  

Beggars cannot be the choosers

दान की बछिया के दांत नहीं गिने जाते

40.  

To sail under false colours

मुँह में राम बगल में छुरी

41.  

Early bords catch the worm

जागत है, सो पावत है

42.  

God helps those who help themselves

हिम्मते मरदां, मददे खुदा

43.  

God tempers the wind

जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय

44.  

To leave no stone unturned

एड़ी चोटी का जोर लगाना / खून-पसीना एक करना / जमीन-आसमान एक करना / आकाश-पाताल एक करना

45.  

To built castles in the air

ख़याली पुलाव पकाना / मन के लड्डू खाना / हवाई किले बनाना

46.  

To be seen once in a blue moon

ईद का चाँद होना / गूलर का फूल होना

47.  

Fly in the ointment

कबाब में हड्डी (होना)

48.  

Salad days

कच्ची उम्र

49.  

Lions skin

गीदड़ भभकी

50.  

A rolling stone

बिन पेंदी का लोटा

51.  

A absolute blockhead

काठ का उल्लू / गोबर गणेश