गुरुवार, 31 मार्च 2022

अनुवाद की परिभाषाएँ

 

अनुवाद की परिभाषाएँ

(Definitions of Translation)

अनुवाद एक प्राचीन कर्म है और इसका इतिहास लगभग भाषा के इतिहास जितना ही पुराना है। परंतु, अपवाद स्वरूप कुछ पुस्तकों को छोड़ दिया जाए तो अनुवाद संबंधी सिद्धांतों पर स्वतंत्र ग्रंथों के लेखन का कार्य वस्तुतः बीसवीं शताब्दी में आरंभ हुआ। बीसवीं सदी में ही साहित्यिक और भाषा वैज्ञानिक पत्रिकाओं में अनुवाद संबंधी लेखों का प्रकाशन शुरू हुआ। इन्हीं भाषा वैज्ञानिक एवं साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं ने अनुवाद की कई परिभाषाओं को जन्म दिया। कुछ परिभाषाओं को मान्यताएँ मिलीं तो कुछ परिभाषाओं पर प्रश्न भी उठाए गए। अनुवाद की परिभाषा का मूल संदेश सदा समान रहा है, लेकिन उनमें कुछ बारीक-सूक्ष्म अंतर भी देखने को मिलता है। परिभाषाओं पर विचार किया जाए तो अनुवाद की परिभाषा भाषा वैज्ञानिकों के साथ-साथ, साहित्यकारों, मानव विज्ञान के विद्वानों आदि ने भी दी है। पश्चिम के विद्वानों के साथ-साथ भारतीय विद्वानों ने भी अपने अनुसार ‘अनुवाद को परिभाषित-व्याख्यायित करने का प्रयास किया है। ‘अनुवाद’ की कुछ परिभाषाएँ आगे दी गयी हैं, जिससे अनुवाद को समझने में सहायता मिल सकती है :

E. A. Nida: “Translation consists in producing in the receptor language the close natural equivalent to the massage of the source language first in meaning and secondly in style.”

(अनुवाद स्रोत भाषा के संदेश को लक्ष्य भाषा में संप्रेषित करता है। लक्ष्य भाषा का संदेश मूल भाषा या स्रोत भाषा के संदेश का निकटम, स्वाभाविक तथा समतुल्य संदेश होता है। यह समतुल्यता पहले अर्थ और फिर शैली के स्तर पर होती है।”अनुवाद : श्रीनिकेत कुमार मिश्र)

J. C. Catford:  Translation is an operation performed on languages: a process of substituting a text in one language for a text in another.

(अनुवाद ऐसी शल्य-क्रिया है जो भाषाओं पर की जाती है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक भाषा के पाठ को दूसरी भाषा के पाठ से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है। – अनुवाद : श्रीनिकेत कुमार मिश्र)

“The replacement of textual material in one language (SL) by equivalent textual material in another language (TL).”

(अनुवाद एक भाषा (स्रोत भाषा) के पाठ/संदेश को दूसरी भाषा (लक्ष्य भाषा) के समानार्थक पाठ/संदेश में प्रतिस्थापन है। – अनुवाद  : श्रीनिकेत कुमार मिश्र)

Dr. Samuel Johnson: “To translate is to change into another language retaining the sense.”

(अर्थ को अक्षुण्ण रखते हुए उसे दूसरी भाषा में अंतरित करना ही अनुवाद है।– अनुवाद : श्रीनिकेत कुमार मिश्र)

MATHEW ARNOLD: “A translation should affect as in the same way as the original may be supposed to have affected its first hearers.” (प्रभावसमता)

(“अनुवाद का प्रभाव लक्ष्य भाषा के पाठक पर वैसा ही होना चाहिए जिस प्रकार मूलपाठ का प्रभाव उसके पाठक पर पड़ा हो।” - अनुवाद : श्रीनिकेत कुमार मिश्र)

ए. एच. स्मिथ : - अनुवाद का तात्पर्य अर्थ को यथासंभव बनाए रखते हुए अन्य भाषा में अंतरण से है।

 रोमन याकोब्सन :- समस्त प्रकार का अनुवाद कार्य आलोचनात्मक व्याख्या है।

न्यूमार्क : - अनुवाद एक शिल्प है जिसमें एक भाषा में लिखित संदेश के स्थान पर दूसरी भाषा के उसी संदेश को प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया जाता है।

हैलिडे :  अनुवाद एक संबंध है जो दो या दो से अधिक पाठों के बीच होता है; ये पाठ समान स्थिति में समान प्रकार्य संपादित करते हैं (दोनों पाठों का संदर्भ समान होता है और उनसे व्यंजित होनेवाला संदेश भी समान है।)

जी.गोपीनाथन : - अनुवाद वह द्वंद्वात्मक प्रक्रिया है जिसमें स्रोत पाठ की अर्थ संरचना (आत्मा) का लक्ष्य पाठ की शैलीगत संरचना (शरीर) द्वारा प्रतिस्थापन होता है।

डॉ. सुरेश कुमार : एक भाषा के विशिष्ट भाषाभेद के विशिष्ट पाठ को दूसरी भाषा में इस प्रकार प्रस्तुत करना अनुवाद है जिसमें वह मूल के भाषिक अर्थ, प्रयोग के वैशिष्ट्य से निष्पन्न अर्थ, प्रयुक्ति और शिल्प की विशिष्टता,  विषयवस्तु, तथा संबद्ध सांस्कृतिक वैशिष्ट्य को यथासंभव संरक्षित रखते हुए दूसरी भाषा के पाठक को स्वाभाविक रूप से ग्राह्य प्रतीत हो।

डॉ. रवींद्रनाथ श्रीवास्तव : - एक भाषा (स्रोत भाषा) की पाठ सामग्री में अंतर्निहित तथ्य का समतुल्यता के सिद्धांत के आधार पर दूसरी भाषा (लक्ष्य) में संगठनात्मक रूपांतरण अथवा सर्जनात्मक पुनर्गठन को ही अनुवाद कहा जाता है।

डॉ. भोलानाथ तिवारी : भाषा ध्वन्यात्मक प्रतीकों की व्यवस्था है और अनुवाद उन्हीं प्रतीकों का प्रतिस्थापन, अर्थात एक भाषा के स्थान पर दूसरी भाषा के निकटतम ( कथनत: और कथ्यत:) समतुल्य और सहज प्रतीकों का प्रयोग। इस प्रकार अनुवाद निकटतम, समतुल्य और सहज प्रतिप्रतीकनया ‘यथासाध्य समानक प्रतिप्रतीकन है।

संक्षेप में – “अनुवाद कथनत: और कथ्यत: निकटतम सहज प्रतिप्रतीकन है”

इस प्रकार, अनुवाद एक भाषा से दूसरी भाषा में किसी भी संदेश को संप्रेषित करने का माध्यम है। अनुवाद एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक भाषा में विद्यमान संदेश/ज्ञान को दूसरी भाषा के लोगों तक पहुँचाया जा सकता है। अनुवाद एक ऐसी प्रक्रिया, कला है जिसके माध्यम से एक भाषा (स्रोत भाषा) में कही गई बात को दूसरी भाषा (लक्ष्य भाषा) में संप्रेषित किया जा सकता है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें