शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

हिंदी भाषा में व्यंजन ध्वनियाँ (Consonant sounds in Hindi)

                            हिंदी भाषा में व्यंजन ध्वनियाँ (Consonant sounds in Hindi) 

व्यंजन वैसी ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण के लिए किसी स्वर की जरुरत होती है । ऐसी ध्वनियों का उच्चारण करते समय हमारे मुख के भीतर किसी न किसी अंग विशेष द्वारा वायु का अवरोध होता है । परम्परागत वैयाकरणों के अनुसार “जो स्वर की सहायता से उच्चारित हो वह व्यंजन है ।” भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से व्यंजन की परिभाषा इस प्रकार है – “जिन ध्वनियों के उच्चारण में कहीं न कहीं कोई अवरोध हो, उसे व्यंजन ध्वनि कहते हैं ।” स्वर स्वत: उच्चारित होते हैं और व्यंजन स्वर की सहायता से ।

हिंदी में 25 व्यंजन (वर्गीय) ध्वनियाँ हैं जो स्पर्श हैं ।

क वर्ग – क  ख  ग  घ  ड.

च वर्ग – च  छ  ज  झ  ञ

ट वर्ग – ट  ठ   ड  ढ  ण

त वर्ग – त  थ  द  ध  न

प वर्ग – प  फ  ब  भ  म

उपरोक्त ध्वनियों में प्रत्येक वर्ग की पंचों ध्वनियाँ एक ही स्थान से निकलती हैं अर्थात् उच्चारित होती हैं; इसीलिए इन्हें वर्गीय ध्वनि कहा गया है । इन वर्गीय ध्वनियों में प्रत्येक पंचम ध्वनि (ड., ञ, ण, न, म) नासिक्य ध्वनियाँ हैं । इन्हें पंचमाक्षर भी कहा जाता है ।

व्यंजनों ध्वनियों का वर्गीकरण :

व्यंजन ध्वनियों के वर्गीकरण के मुख्यत: चार आधार हैं :-

1. उच्चारण स्थान(place) के आधार पर

2. प्रयत्न(manner) के आधार पर

3. घोष(voiced) – अघोष(voiceless) के आधार पर

4. प्राणत्व के आधार पर (aspirated-unaspirated)

1. उच्चारण स्थान(place) के आधार पर

इन्हें आठ वर्गों में विभक्त किया जा सकता है- काकल्य, कंठ्य, तालव्य, मूर्धन्य, वर्त्स, दंत्य, दंतोष्ठय, द्योष्ठ । इस वर्ग की व्यंजन ध्वनियाँ या तो अल्पप्राण होंगी या महाप्राण ।

2. प्रयत्न(manner) के आधार पर :

प्रयत्न के आधार पर भी व्यंजनों को आठ वर्गों में विभाजित किया जाता है – स्पर्श, संघर्षी, स्पर्श-संघर्षी, पार्श्विक, लुंठित, उत्क्षिप्त, नासिक्य एवं अर्ध स्वर ।

i. स्पर्श: स्पर्श व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा उच्चारण स्थान को स्पर्श करती है । जिह्वा के स्पर्श के समय वायु मुख विवर में अवरुद्ध हो जाती है और फिर झटके से बाहर निकलती है ।

क  ख  ग  घ च  छ  ज  झ  ट  ठ   ड  ढ  त  थ  द  ध  प  फ  ब  भ  स्पर्शी हैं ।

ii. संघर्षी: जिन ध्वनियों का उच्चारण मुख विवर में घर्षण के साथ होता है, उसे संघर्षी ध्वनि कहते हैं; जैसे- स, श, ष ।

iii. स्पर्श-संघर्षी: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा उच्चारण स्थान को स्पर्श करती है और वायु मुख विवर से घर्षण करते हुए बहार निकलती है उन्हें स्पर्श-संघर्षी व्यंजन कहते हैं; जैसे- च, छ, ज, झ।

iv. पार्श्विक: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा उच्चारण स्थान को छूती है, उस समय वायु जिह्वा के दोनों ओर से बहार निकलती है; जैसे- ल ।

v. लुंठित: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा उच्चारण स्थान पर कम्पन के साथ आघात करती है उन्हें लुंठित कहते हैं; जैसे- र ।

vi. उत्क्षिप्त: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा कुछ ऊपर की ओर उठकर उच्चारण स्थान को थोड़े समय के लिए कम्पित करती है; जैसे- ड़, ढ़ ।

vii. नासिक्य: जिन ध्वनियों के उच्चारण में वायु मुख्विवर में अवरुद्ध होकर मुख और नासिका दोनों से एक साथ निकलती है; जैसे- ड., ञ, ण, न, म ।

viii. अर्धस्वर: जिनका उच्चारण करते समय जिह्वा एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर सरकती है और वायु मुख्विवर को किंचित संकरा बना देती है, उन्हें अर्धस्वर कहते हैं; जैसे- य, व ।

3. घोष(voiced) – अघोष(voiceless) के आधार पर:

i. घोष(voiced): जिन ध्वनियों के उच्चारण से स्वरग्रंथि में कम्पन होता है उन्हें घोष कहते हैं; जैसे- ग, घ, ड., ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, स, श, ष, ह ।

ii. अघोष(voiceless): जिन ध्वनियों के उच्चारण से स्वरग्रंथि में कम्पन न हो, वे अघोष कहलाती हैं; जैसे- क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, य, र, ल, व, ड़, ढ़ विसर्ग ह् ।

4. प्राणत्व के आधार पर (aspirated-unaspirated):

प्राणत्व के आधार पर हूँ व्यंजन ध्वनियों को दो भागों में बांटते हैं-

i. अल्पप्राण (unaspirated)

ii. महाप्राण (aspirated)

i. अल्पप्राण: वे व्यंजन होतें हैं जिन्हें बहुत कम वायु-प्रवाह से बोला जाता है जैसे कि '', '', '' और ''

प्रत्येक वर्ग की पहली, तीसरी एवं पांचवी ध्वनि अल्पप्राण होती हैं; जैसे- क, ग, ड., च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, य, र, ल, व ।

ii. महाप्राण: वह व्यंजन होतें हैं जिन्हें मुख से वायु-प्रवाह के साथ बोला जाता है, जैसे की '', '', '' और ''

प्रत्येक वर्ग की दूसरी  एवं चौथी ध्वनि महाप्राण होती हैं; जैसे- ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ ।



व्यंजनों का वैज्ञानिक वर्गीकरण और उनके IPA वर्णाक्षर निम्नलिखित सारणी में दर्शाया गया है ।

स्पर्श (Plosives)

अल्पप्राण
अघोष

महाप्राण
अघोष

अल्पप्राण
घोष

महाप्राण
घोष

नासिक्य

कण्ठ्य

/ kə /
k; English: skip

/ khə /
kh; English: cat

/ gə /
g; English: game

/ ghə /
gh; Aspirated /g/

/ ŋə /
n; English: ring

तालव्य

/ cə / or / tʃə /
ch; English: chat

/ chə / or /tʃhə/
chh; Aspirated /c/

/ ɟə / or / dʒə /
j; English: jam

/ ɟhə / or / dʒɦə /
jh; Aspirated
/ɟ/

/ ɲə /
n; English: finch

मूर्धन्य

/ ʈə /
t; American Eng: hurting

/ ʈhə /
th; Aspirated
/ʈ/

/ ɖə /
d; American Eng: murder

/ ɖhə /
dh; Aspirated
/ɖ/

/ ɳə /
n; American Eng: hunter

दन्त्य

/ t̪ə /
t; Spanish: tomate

/ t̪hə /
th; Aspirated
/t̪/

/ d̪ə /
d; Spanish: donde

/ d̪hə /
dh; Aspirated
/d̪/

/ nə /
n; English: name

ओष्ठ्य

/ pə /
p; English: spin

/ phə /
ph; English: pit

/ bə /
b; English: bone

/ bhə /
bh; Aspirated /b/

/ mə /
m; English: mine

 

स्पर्शरहित (Non-Plosives)

तालव्य

मूर्धन्य

दन्त्य/
वर्त्स्य

कण्ठोष्ठ्य/
काकल्य

अन्तस्थ

/ jə /
y; English: you

/ rə /
r; Scottish Eng: trip

/ lə /
l; English: love

/ ʋə /
v; English: vase

ऊष्म/
संघर्षी

/ ʃə /
sh; English: ship

/ ʂə /
sh; Retroflex
/ʃ/

/ sə /
s; English: same

/ ɦə / or / hə /
h; English behind

 

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि स्वरों का उच्चारण स्वतंत्ररूप से किया जाता है जबकि व्यंजनों का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है । 

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