हिंदी भाषा में व्यंजन ध्वनियाँ (Consonant sounds in Hindi)
व्यंजन वैसी ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण के लिए किसी स्वर
की जरुरत होती है । ऐसी ध्वनियों का उच्चारण करते समय हमारे मुख के भीतर किसी न
किसी अंग विशेष द्वारा वायु का अवरोध होता है । परम्परागत वैयाकरणों के अनुसार “जो
स्वर की सहायता से उच्चारित हो वह व्यंजन है ।” भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से व्यंजन
की परिभाषा इस प्रकार है – “जिन ध्वनियों के उच्चारण में कहीं न कहीं कोई अवरोध
हो, उसे व्यंजन ध्वनि कहते हैं ।” स्वर स्वत: उच्चारित होते हैं और व्यंजन स्वर की
सहायता से ।
हिंदी में 25 व्यंजन (वर्गीय) ध्वनियाँ हैं जो स्पर्श हैं ।
क वर्ग – क ख ग
घ ड.
च वर्ग – च छ ज
झ ञ
ट वर्ग – ट ठ ड
ढ ण
त वर्ग – त थ द
ध न
प वर्ग – प फ ब
भ म
उपरोक्त ध्वनियों में प्रत्येक वर्ग की पंचों ध्वनियाँ एक
ही स्थान से निकलती हैं अर्थात् उच्चारित होती हैं; इसीलिए इन्हें वर्गीय ध्वनि
कहा गया है । इन वर्गीय ध्वनियों में प्रत्येक पंचम ध्वनि (ड., ञ, ण, न, म)
नासिक्य ध्वनियाँ हैं । इन्हें पंचमाक्षर भी कहा जाता है ।
व्यंजनों ध्वनियों का वर्गीकरण :
व्यंजन ध्वनियों के वर्गीकरण के मुख्यत: चार आधार हैं :-
1. उच्चारण स्थान(place) के आधार पर
2. प्रयत्न(manner) के आधार पर
3. घोष(voiced) – अघोष(voiceless) के आधार पर
4. प्राणत्व के आधार पर (aspirated-unaspirated)
1. उच्चारण स्थान(place) के आधार पर
इन्हें आठ वर्गों में विभक्त किया जा सकता है- काकल्य,
कंठ्य, तालव्य, मूर्धन्य, वर्त्स, दंत्य, दंतोष्ठय, द्योष्ठ । इस वर्ग की व्यंजन
ध्वनियाँ या तो अल्पप्राण होंगी या महाप्राण ।
2. प्रयत्न(manner) के आधार पर :
प्रयत्न के आधार पर भी व्यंजनों को आठ वर्गों में विभाजित
किया जाता है – स्पर्श, संघर्षी, स्पर्श-संघर्षी, पार्श्विक, लुंठित, उत्क्षिप्त,
नासिक्य एवं अर्ध स्वर ।
i. स्पर्श: स्पर्श व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा
उच्चारण स्थान को स्पर्श करती है । जिह्वा के स्पर्श के समय वायु मुख विवर में
अवरुद्ध हो जाती है और फिर झटके से बाहर निकलती है ।
क ख ग घ
च छ
ज झ ट
ठ ड ढ
त थ द
ध प फ
ब भ स्पर्शी हैं ।
ii. संघर्षी: जिन ध्वनियों का उच्चारण मुख विवर में
घर्षण के साथ होता है, उसे संघर्षी ध्वनि कहते हैं; जैसे- स, श, ष ।
iii. स्पर्श-संघर्षी: जिन ध्वनियों के उच्चारण में
जिह्वा उच्चारण स्थान को स्पर्श करती है और वायु मुख विवर से घर्षण करते हुए बहार
निकलती है उन्हें स्पर्श-संघर्षी व्यंजन कहते हैं; जैसे- च, छ, ज, झ।
iv. पार्श्विक: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा
उच्चारण स्थान को छूती है, उस समय वायु जिह्वा के दोनों ओर से बहार निकलती है;
जैसे- ल ।
v. लुंठित: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा
उच्चारण स्थान पर कम्पन के साथ आघात करती है उन्हें लुंठित कहते हैं; जैसे- र ।
vi. उत्क्षिप्त: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा
कुछ ऊपर की ओर उठकर उच्चारण स्थान को थोड़े समय के लिए कम्पित करती है; जैसे- ड़, ढ़ ।
vii. नासिक्य: जिन ध्वनियों के उच्चारण में वायु
मुख्विवर में अवरुद्ध होकर मुख और नासिका दोनों से एक साथ निकलती है; जैसे- ड., ञ,
ण, न, म ।
viii. अर्धस्वर: जिनका उच्चारण करते समय जिह्वा एक
स्थान से दूसरे स्थान की ओर सरकती है और वायु मुख्विवर को किंचित संकरा बना देती
है, उन्हें अर्धस्वर कहते हैं; जैसे- य, व ।
3. घोष(voiced) – अघोष(voiceless) के आधार पर:
i. घोष(voiced): जिन ध्वनियों के उच्चारण से
स्वरग्रंथि में कम्पन होता है उन्हें घोष कहते हैं; जैसे- ग, घ, ड., ज, झ, ञ, ड,
ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, स, श, ष, ह ।
ii. अघोष(voiceless): जिन ध्वनियों के उच्चारण से
स्वरग्रंथि में कम्पन न हो, वे अघोष कहलाती हैं; जैसे- क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प,
फ, य, र, ल, व, ड़, ढ़ विसर्ग ह् ।
4. प्राणत्व के आधार पर (aspirated-unaspirated):
प्राणत्व के आधार पर हूँ व्यंजन ध्वनियों को दो भागों में
बांटते हैं-
i. अल्पप्राण (unaspirated)
ii. महाप्राण (aspirated)
i. अल्पप्राण: वे व्यंजन होतें हैं जिन्हें बहुत कम
वायु-प्रवाह से बोला जाता है जैसे कि 'क', 'ग', 'ज' और 'प' ।
प्रत्येक वर्ग की पहली, तीसरी एवं पांचवी ध्वनि अल्पप्राण
होती हैं; जैसे- क, ग, ड., च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, य, र, ल, व ।
ii. महाप्राण: वह व्यंजन होतें हैं जिन्हें मुख से वायु-प्रवाह
के साथ बोला जाता है,
जैसे की 'ख', 'घ', 'झ' और 'फ' ।
प्रत्येक वर्ग की दूसरी
एवं चौथी ध्वनि महाप्राण होती हैं; जैसे- ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ ।
व्यंजनों का वैज्ञानिक वर्गीकरण और उनके IPA वर्णाक्षर निम्नलिखित सारणी में दर्शाया गया है ।
स्पर्श (Plosives)
|
|
अल्पप्राण
अघोष
|
महाप्राण
अघोष
|
अल्पप्राण
घोष
|
महाप्राण
घोष
|
नासिक्य
|
कण्ठ्य
|
क / kə /
k; English: skip
|
ख / khə /
kh; English: cat
|
ग / gə /
g; English: game
|
घ / ghə /
gh; Aspirated /g/
|
ङ / ŋə /
n; English: ring
|
तालव्य
|
च / cə / or / tʃə /
ch; English: chat
|
छ / chə / or /tʃhə/
chh; Aspirated /c/
|
ज / ɟə / or / dʒə /
j; English: jam
|
झ / ɟhə / or / dʒɦə
/
jh; Aspirated /ɟ/
|
ञ / ɲə /
n; English: finch
|
मूर्धन्य
|
ट / ʈə /
t; American Eng: hurting
|
ठ / ʈhə /
th; Aspirated /ʈ/
|
ड / ɖə /
d; American Eng: murder
|
ढ / ɖhə /
dh; Aspirated /ɖ/
|
ण / ɳə /
n; American Eng: hunter
|
दन्त्य
|
त / t̪ə /
t; Spanish: tomate
|
थ / t̪hə /
th; Aspirated /t̪/
|
द / d̪ə /
d; Spanish: donde
|
ध / d̪hə /
dh; Aspirated /d̪/
|
न / nə /
n; English: name
|
ओष्ठ्य
|
प / pə /
p; English: spin
|
फ / phə /
ph; English: pit
|
ब / bə /
b; English: bone
|
भ / bhə /
bh; Aspirated /b/
|
म / mə /
m; English: mine
|
स्पर्शरहित (Non-Plosives)
|
|
तालव्य
|
मूर्धन्य
|
दन्त्य/
वर्त्स्य
|
कण्ठोष्ठ्य/
काकल्य
|
अन्तस्थ
|
य / jə /
y; English: you
|
र / rə /
r; Scottish Eng: trip
|
ल / lə /
l; English: love
|
व / ʋə /
v; English: vase
|
ऊष्म/
संघर्षी
|
श / ʃə /
sh; English: ship
|
ष / ʂə /
sh; Retroflex /ʃ/
|
स / sə /
s; English: same
|
ह / ɦə / or / hə /
h; English behind
|
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि स्वरों का उच्चारण
स्वतंत्ररूप से किया जाता है जबकि व्यंजनों का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता
है ।