सोमवार, 26 जून 2023

आशु अनुवाद एवं निर्वचन

             आशु अनुवाद और निर्वचन दोनों के लिए अंग्रेजी भाषा में ‘interpretation’ शब्द का ही प्रयोग होता है। ‘Interpretation’ शब्द के लिए हिंदी भाषा में कई अन्य शब्द भी प्रचलित हैं, जैसे- व्याख्या, भावार्थ, मौखिक अनुवाद इत्यादि। किंतु, किन्हीं दो भाषाओं के मध्य मौखिक अनुवाद के लिए ‘भाषांतरण’ अथवा ‘आशु अनुवाद शब्द का ही प्रयोग होता है।  सामान्य अर्थों में, Interpretation’ हेतु ‘निर्वचन’ शब्द ही अधिक चलन में है।

आशु अनुवाद शुद्ध रूप से एक मौखिक प्रक्रिया है जबकि निर्वचन मौखिक या लिखित दोनों माध्यम से हो सकता है। आशु अनुवाद में दुभाषिए के पास व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं होती है, किंतु निर्वचन में निर्वचनकार पाठ या उक्ति का अपने विवेक एवं शास्त्रों के आधार पर व्याख्या कर सकता है। आशु अनुवाद की प्रक्रिया अनिवार्यतः एक भाषा से दूसरी भाषा के मध्य होती है, लेकिन निर्वचन में यह आवश्यक नहीं है। निर्वचन ‘अन्तरभाषिक’ और ‘अंत:भाषिक’ दोनों प्रकार का हो सकता है।

निर्वचन या व्याख्या संदर्भ या क्षेत्र के अनुसार कई प्रकार का हो सकता है; जैसे भाषिक निर्वचन, साहित्यिक निर्वचन, सांस्कृतिक निर्वचन, विधिक निर्वचन या क़ानूनी व्याख्या, कलात्मक व्याख्या, स्वप्न व्याख्या इत्यादि। उदाहरण के लिए, विधि के क्षेत्र में निर्वचन से तात्पर्य न्यायालयों द्वारा संविधियों की भाषा, शब्दों एवं अभिव्यक्तियों के अर्थ- निर्धारण की प्रक्रिया है। निर्वचन के माध्यम से न्यायालयों द्वारा संविधि में प्रयुक्त भाषा या शब्दों का अर्थान्वयन या अर्थ-निर्धारण किया जाता है। निर्वचन में दर्शनशास्त्र का भी समावेश हो जाता है। किंतु, दो भाषाओं के मध्य मौखिक रूप से संप्रेषण हेतु ‘भाषांतरण शब्द का प्रयोग ही ज्यादा उचित प्रतीत होता है।