आशु अनुवाद और निर्वचन दोनों के लिए अंग्रेजी भाषा में ‘interpretation’ शब्द का ही प्रयोग होता है। ‘Interpretation’ शब्द के लिए हिंदी भाषा में कई अन्य शब्द भी प्रचलित हैं, जैसे- व्याख्या, भावार्थ, मौखिक अनुवाद इत्यादि। किंतु, किन्हीं दो भाषाओं के मध्य मौखिक अनुवाद के लिए ‘भाषांतरण’ अथवा ‘आशु अनुवाद’ शब्द का ही प्रयोग होता है। सामान्य अर्थों में, ‘Interpretation’ हेतु ‘निर्वचन’ शब्द ही अधिक चलन में है।
आशु अनुवाद शुद्ध रूप से एक मौखिक प्रक्रिया है
जबकि निर्वचन मौखिक या लिखित दोनों माध्यम से हो सकता है। आशु अनुवाद में दुभाषिए
के पास व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं होती है, किंतु निर्वचन में निर्वचनकार पाठ या
उक्ति का अपने विवेक एवं शास्त्रों के आधार पर व्याख्या कर सकता है। आशु अनुवाद की
प्रक्रिया अनिवार्यतः एक भाषा से दूसरी भाषा के मध्य होती है, लेकिन निर्वचन में
यह आवश्यक नहीं है। निर्वचन ‘अन्तरभाषिक’ और ‘अंत:भाषिक’ दोनों प्रकार का हो सकता
है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें