शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

 

प्रस्तुत है हिंदी के ख्यातिलब्ध साहित्यकार-कहानीकार जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कहानी ‘पुरस्कार का संक्षेप एवं सरल संस्करण । आशा है यह संस्करण हिंदी को विदेशी भाषा के रूप में सीखने वाले शिक्षार्थियों के लिए उपयोगी होगी ।

पुरस्कार

-         जयशंकर प्रसाद

उन्हें एक-दूसरे से प्यार/प्रेम हो जाता है। अरुण (मधुलिका के राज्य) कोशल पर अधिकार करना चाहता है। आरंभ/शुरू में मधुलिका अरुण का साथ देना/की सहायता करना चाहती है। लेकिन, बाद में उसे कोशल के लिए अपने पिता के कार्य याद आ जाते  हैं । उसे पछतावा होने लगता है।  

उसे अपने देश के लिए प्रेम उमड़ने लगता है।  तभी वह सेनापति को सैनिकों के साथ गुजरते हुए देखती है। वह सेनापति को रोककर सारी बातें कहती है। पहले तो उसे पागल समझता है किंतु जब वह विस्तार से सारी बात उसे बताती है, वह समझ जाता है। वह मधुलिका को तुरंत गिरफ्तार/कैद कर लेता है। उसके बाद अरुण भी पकड़ा जाता है। इस प्रकार, कोशल राज्य शत्रुओं/दुश्मनों से बच जाता है।

राजा/नरेश  मधुलिका से बहुत प्रसन्न/खुश होते हैं। वह उसे पुरस्कार देने की बात करते हैं और पूछते हैं कि तुम्हें क्या चाहिए । परंतु, मधुलिका कुछ नहीं माँगती है। महाराज स्वयं की सारी निजी जमीन/भूमि पुरस्कार स्वरूप देने के लिए तैयार हैं, मगर मधुलिका कुछ भी लेने से मना करती है। राजा के बार-बार आग्रह करने पर मधुलिका अरुण के समीप/नजदीक/पास जाकर प्राणदंड/मृत्युदंड  पुरस्कार में देने के लिए कहती है।

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