सोमवार, 17 जुलाई 2023

दुभाषिए के गुण

            दुभाषिए एक भाषा से दूसरी भाषा में संदेश को संप्रेषित करते हैं। दुभाषिए सांकेतिक भाषा (Sign Language) को बोली जाने वाली भाषा में और बोली जाने वाली भाषा को सांकेतिक भाषा में भी अर्थ संप्रेषण का कार्य करते हैं। दुभाषिया का लक्ष्य लोगों को संदेश को ऐसे सुनाना होता है जैसे कि वे मूल भाषा सुन रहे हों। दुभाषियों को आमतौर पर दोनों भाषाओं को धाराप्रवाह बोलने वाला या उस पर अधिकार रखने वाला होना चाहिए, क्योंकि वे  दोनों भाषाओं के लोगों के बीच स्रोत से लक्ष्य और लक्ष्य से स्रोत भाषा में संवाद करते हैं। एक कुशल या सक्षम दुभाषिए में कुछ निम्नलिखित गुणों की अपेक्षा की जाती है-

        i.            दोनों भाषाओं (स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा) पर समान अधिकार होना चाहिए, उसमें धाराप्रवाह बोलने की क्षमता होनी चाहिए। इसके साथ-साथ वाक कौशल एवं वाकपटुता भी होनी चाहिए।

      ii.            मूल के प्रति वस्तुनिष्ठता और श्रोताओं के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए।

   iii.            दोनों भाषाओं की संरचना एवं क्षेत्रीय स्वरूप, व्यक्ति भाषा आदि विविधताओं से भी पूरा परिचय होना चाहिए।

    iv.            क्षेत्र विशेष की आधारभूत शब्दावली अच्छी तरह से कंठस्थ होनी चाहिए।

      v.            दुभाषिए को एक अच्छे वक्ता के साथ-साथ एक अच्छा श्रोता भी होना चाहिए।

    vi.            उसकी स्मरण शक्ति तीक्ष्ण होनी चाहिए ताकि सुने गए वाक्यों या संदेश को याद रख सके।

 vii.            मूल संदेश या विचार को संक्षेप में लिखने (note taking) की क्षमता होनी चाहिए।

viii.            उसमें अभिनेता के गुण होने चाहिए।

    ix.            कॉन्फ्रेंस या सम्मेलन भाषांतरण हेतु दुभाषियों में बौद्धिक जिज्ञासा का होना आवश्यक है।

      x.            उसमें त्वरित निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए

    xi.            उसे आचार-व्यवहार, नियमावली एवं प्रोटोकॉल से अच्छी तरह परिचित होना चाहिए

 xii.            उसकी भेषभूषा और उसका व्यवहार निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार होना चाहिए

xiii.            स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा के बीच उसे सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए, दोनों भाषा समूह के बीच सेतु के रूप में कार्य करना चाहिए।

xiv.            भाषांतरण का प्रतिदिन अभ्यास होना चाहिए

  xv.            किसी भी भाषांतरण कार्य के पहले उसकी समुचित पूर्व तैयारी होनी चाहिए।

इस प्रकार, दुभाषिया कर्म एक चुनौती भरा कार्य है जिसमें नित नई समस्याएँ आती हैं। दुभाषिए को संयमित, अनुशासन एवं निष्ठा पूर्वक अपने कार्य को करना चाहिए। दो भाषा समुदायों के बीच संवाद का कार्य हमेशा से एक बेहद जिम्मेदारी भरा कार्य रहा है। कई बार गलत या भ्रामक अर्थ संप्रेषण से युद्ध अथवा टकराहट-संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अंत: दुभाषिए को दोनों समुदायों अथवा राष्ट्रों के बीच सेतु का कार्य करना चाहिए।