किसी एक प्राकृतिक भाषा (जैसे – हिंदी ) के पाठ को किसी दूसरी प्राकृतिक भाषा (जैसे – मराठी) में मशीन द्वारा स्वचालित रूप से अनूदित करने की प्रक्रिया मशीनी अनुवाद कहलाती है। यहाँ मशीन का तात्पर्य संगणक एवं उसके समतुल्य इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों से है। मशीनी अनुवाद प्रक्रिया में जिस भाषा के पाठ को अनूदित किया जाता है उसे स्रोत भाषा तथा जिस भाषा में अनूदित किया जाता है उसे लक्ष्य भाषा कहा जाता है।
जैसे – Ram eats a mango. (स्रोत भाषा)
राम
आम खाता है (लक्ष्य भाषा)
उपर्युक्त
उदाहरण में, अंग्रेजी भाषा में लिखा गया वाक्य स्रोत भाषा का है, इसलिए यहाँ स्रोत
भाषा अंग्रेजी है एवं स्रोत भाषा के वाक्य
को हिंदी भाषा
में अनूदित किया गया है, इसलिए हिंदी यहाँ लक्ष्य भाषा है।
मशीनी
अनुवाद को ‘यांत्रिक अनुवाद’ या ‘स्वचालित अनुवाद’ के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि मशीनी अनुवाद में भी नाइडा (1964) द्वारा बताई गयी अनुवाद की तीनों प्रक्रियाएँ – विश्लेषण, अंतरण, पुनर्गठन प्रक्रियाएँ मशीनी अनुवाद में भी संपादित होती हैं जिसे संगणक प्रोग्राम द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम स्रोत भाषा के पाठ को निविष्ट (input) के रूप में प्रविष्ट किया जाता है और पहले से तैयार की गयी विश्लेषण प्रक्रिया द्वारा पाठ को विश्लेषित किया जाता है। ततपश्चात, अंतरण प्रक्रिया द्वारा स्रोत भाषा के पाठ के पदों, पदबंधों एवं वाक्यों को लक्ष्य भाषा के पाठ के पदों, पदबंधों एवं वाक्यों में स्थानांतरित किया जाता है। इसके बाद पुनर्गठन प्रक्रिया द्वारा लक्ष्य पाठ को उत्तपादित किया जाता है।
इस प्रकार, मशीनी अनुवाद या यांत्रिक अनुवाद ऐसा अनुवाद है जो मानव नहीं बल्कि मशीन अर्थात कम्प्युटर, मोबाइल आदि यंत्रों द्वारा संपादित किया जाता है। यह मानव अनुवाद की तुलना में समय, श्रम एवं संसाधन तीनों को बचाने वाला होता है। एक ओर जहाँ मानव अनुवाद श्रमसाध्य होता है, मशीनी अनुवाद के लिए हमें उतनी मेहनत की अवश्यकता नहीं होती है। मानव द्वारा किए जाने वाले अनुवाद में मशीन अनुवाद की तुलना में समय भी बहुत कम लगता है; या यूँ कहें कि कुछ भी नहीं लगता है। मानव अनुवाद के लिए हमें शब्दकोश, विश्वकोश, विषय विशेषज्ञ आदि संसाधनों कि अवश्यकता पड़ती है, किन्तु मशीन अनुवाद में इनकी अवश्यकता कम है या फिर पश्च-सम्पादन के समय पर कुछ जरूरत पड़ती है। एक ओर जहाँ मशीनी अनुवाद के कई लाभ हैं; वहीं दूसरी तरफ मशीनी अनुवाद कि कुछ चुनौतियाँ भी हैं। गुणवत्ता की दृष्टि से मानव अनुवाद मशीनी अनुवाद से प्राय: बेहतर होता है। मशीनी अनुवाद की गुणवत्ता सुधारने के लिए उनमें पश्च-संपादन की अवश्यकता पड़ती है। मानव यदि मशीन पर पूर्णत: निर्भर न होकर अनुवाद कार्य के लिए केवल सहायता ले तो मशीनी अनुवाद अत्यंत उपयोगी है। इससे हमें अनुवाद के दौरान लगने वाले समय, श्रम और संसाधन तीनों की बचत होती है।