मंगलवार, 13 सितंबर 2022

 

व्यक्ति बोली (idiolect) एवं क्षेत्रीय बोली (dialect)

भाषा प्रमुखतया वाचिक या मौखिक होती है लेखन का विकास भाषा के लिए बाद की घटना है तथा लिपि भाषा के लिए प्रौद्योगिकी के सामान है। भाषा-व्यवहार के अंतर्गत हम व्यक्ति बोली (idiolect) एवं क्षेत्रीय बोली (dialect) का अध्ययन करते हैं भाषा का प्रयोग एवं व्यवहार परिवेश, भूगोल, क्षेत्र, आदि के अनुसार अलग-अलग होता है। हम जिस प्रकार से अपने परिवार के लोगों से बात करते हैं, उसी प्रकार से कार्यालय, विद्यालय आदि औपचारिक स्थलों पर बात नहीं करते। हम जिस प्रकार से अपने घनिष्ठ या करीबी मित्रों से बात करते हैं, उसी प्रकार की भाषा का प्रयोग किसी अनजान या अपरिचित व्यक्ति से बात करते समय नहीं करते हैं । हम यह भी देखते हैं कि एक ही भाषा भिन्न-भिन्न भौगोलिक स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरीके से बोली जाती है। औपचारिक परिवेश में हम औपचारिक भाषा का प्रयोग करते हैं, किंतु अनौपचारिक परिवेश में हम दूसरे तरीके से बात करते हैं। अलग-अलग समाज का वर्ग अपनी शिक्षा-दीक्षा, सामाजिक स्थिति के कारण भिन्न-भिन्न तरीके से भाषा का प्रयोग करता है। उदाहरण के लिए, जिस प्रकार की हिंदी लखनऊ में बोली जाती है उसी प्रकार की हिंदी मुंबई में नहीं बोली जाती। इस प्रकार, भाषा व्यवहार भाषा की विविध और विषमरूपी प्रकृति है।

प्रत्येक व्यक्ति की किसी भाषा में अपने भावों और विचारों को व्यक्त करने की अपनी एक अलग शैली होती है। व्यक्ति बोली (idiolect) किसी व्यक्ति के द्वारा भाषा का वह अनूठा प्रयोग है, जिसमें शब्दावली का चयन और प्रयोग, व्याकरण, उच्चारण, तान-अनुतान आदि शामिल है। हर व्यक्ति एक ही भाषा को अलग-अलग तरीके से बोलता है। हम लेखकों, नेताओं-अभिनेताओं आदि के भाषा प्रयोग में भी अंतर देख सकते हैं। इस प्रकार, व्यक्ति विशेष के द्वारा बोली जाने वाली अनूठा प्रयोग को ही व्यक्ति बोली (idiolect) कहा जाता है। किसी व्यक्ति की भाषा की व्यक्तिगत विशेषताएं व्यक्ति बोली के अंतर्गत रखी जा सकती हैं।

जैसा कि ऊपर हमने देखा है विभिन्न क्षेत्रों में एक ही भाषा अपने भूगोल के अनुसार अलग-अलग तरीके से बोली जाती है। उस पर क्षेत्रीयता का प्रभाव देखने को अवश्य मिलता है; यथा हैदराबादी हिंदी, मुम्बइया हिंदी, लखनऊ की हिंदी आदि। इस प्रकार, किसी भाषा के क्षेत्रीय प्रकारों को हम क्षेत्रीय बोली (dialect) के नाम से जानते हैं। भाषा में क्षेत्रीय विशेषताओं को हम क्षेत्रीय बोली (dialect) के अंतर्गत रखते हैं।