शनिवार, 1 मार्च 2025

साहित्यिक असतता (Plagiarism)

साहित्यिक असतता (Plagiarism)

  

किसी दूसरे व्यक्ति के काम, ज्ञान एवं संकल्पना या विचार को बिना उचित माध्यम अथवा तरीके से सूचित किए उसे अपना कार्य बताना ही साहित्यिक असतता है । यह बौद्धिक चोरी का एक रूप है और शैक्षणिक निष्ठा का उल्लंघन है। इसे अनैतिक और बेईमानी माना जाता है । प्लैज़रिज्म (Plagiarism) हेतु साहित्यिक चोरी से अधिक साहित्यिक असतता शब्द का प्रयोग उचित प्रतीत होता है क्योंकि इसमें हर बार ‘चोर्य’ क्रिया ही संपन्न नहीं होती है

 

साहित्यिक असतता हमारे कुछ निम्नलिखित कार्यों की परिणिति हो सकती है, जैसे -

-         किसी अन्य व्यक्ति के कार्य को स्वयं का बताना ।

-         किसी के शब्दों या विचारों को बिना उनका संदर्भ दिए अपने शोधपत्र, पुस्तक या व्याख्यान में उद्धृत करना ।

-         उद्धरण चिह्न को छोड़ देना ।

-         किसी के वाक्यों को लेकर उनके शब्दों को बदल देना ।

 

इसके उपरांत हम देखेंगे कि साहित्यिक असतता के संभावित कारण क्या हैं ? कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :

-         ज्ञान एवं कौशल की कमी ।

-         आधिकारिक पहचान का असुरक्षा भाव ।

-         सांस्कृतिक विभिन्नता

-         संज्ञानात्मक परिणाम

 

साहित्यिक असतता मुख्यत: दो प्रकार की होती है  (Types of plagiarism) :

1.      साशय या इरादतन (Intentional Plagiarism)

2.      अनाशय या गैरइरादतन (Unintentional Plagiarism)

जानबूझकर एवं सोच-समझकर किया जाने वाला कार्य ‘साशय साहित्यिक असतता’ है एवं जानकारी के अभाव में या उचित तरीके से उद्धरण न दे पाना ‘अनाशय साहित्यिक असतता’ है । कई बार संक्षिप्तीकरण एवं संक्षेपण अंक सही तरीका नहीं आने से भी हम  साहित्यिक चोरी के दायरे में आ सकते हैं ।

 

अन्य आधारों पर देखा जाए तो प्लैज़रिज्म के चार प्रकार हो सकते हैं  :

1.      प्रत्यक्ष साहित्यिक असतता (Direct plagiarism)

किसी अन्य व्यक्ति के कार्य के अंश को बिना श्रेय दिए शब्दशः कॉपी करना

2.      स्व साहित्यिक असतता (Self-plagiarism)

बिना अनुमति या उल्लेख के अपना पिछला कार्य प्रस्तुत करना, या पिछले कार्य के कुछ हिस्सों को नए कार्य में शामिल करना

3.      असंगत साहित्यिक असतता (Mosaic plagiarism)

उद्धरण चिह्नों का उपयोग किए बिना किसी स्रोत से वाक्यांश उद्धृत करना

4.      अनभिप्रेत साहित्यिक असतता (Accidental plagiarism)

 

इसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य आते हैं –

  • स्रोतों का उल्लेख न करना,
  • स्रोतों को गलत तरीके से उद्धृत करना, या
  • अनजाने में स्रोतों का अर्थ बदल देना

 

इसके अतिरिक्त साहित्यिक असतता के कई अन्य प्रारूपों का भी उल्लेख मिलता है, जैसे :

1.      क्लोन या हुबहू : क्लोन या हुबहू उसे कहते हैं जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के कार्य को हुबहू प्रस्तुत कर अपना कार्य बताता है ।

2.      CTRL-C या कॉपी : जैसा कि हम देख सकते हैं, CTRL-C माइक्रोसॉफ्ट word का एक निर्देश (command) जिसे हम एक डॉक्यूमेंट या फ़ाइल से दूसरी में कॉपी करने के लिए प्रयोग करते हैं । यहाँ भी कहीं से कॉपी करके के अपने कार्य में शामिल कर लिया जाता है ।

3.      FIND-REPLACE : यह कॉपी से थोड़ा उन्नत किस्म का साहित्यिक असतता है । यहाँ कुछ चीजों को इरादतन बदल दिया जाता है जिससे यह आसानी से पता न चले किंतु इस प्रकार की साहित्यिक असतता भी पकड़ में आ जाती है।

4.      REMIX (मिश्रण) : इसमें प्रयोक्ता चीजों को मिला देता है, यह FIND-REPLACE से आगे की क्रिया विधि है । इसे सॉफ्टवेयर से पकड़ना थोड़ा कठिन होता है ।

5.      Hybrid (संकर) : हाइब्रिड रीमिक्स से भी उन्नत प्रकार की विधि है ।

6.      Mashup (मैशअप) : मैशअप और रीमिक्स दोनों एक से प्रतीत होने वाले शब्द हैं । रीमिक्स में मिश्रित की गई चीजों का अस्तित्व रहता है या यूँ कहें तो हम बता सकते हैं कि इसमें क्या-क्या मिश्रित है । किंतु, मैशअप में चोरी की गई चीजें आसानी से पता नहीं चलती हैं । यह प्रथम दृष्टि में नया या मौलिक प्रतीत होता है ।

7.      404 Error (एरर 404) : इसमें मूल स्रोत गैर-मौजूद होते हैं या गलत जानकारी के साथ उद्धरण शामिल होते हैं । जैसा कि हम जानते हैं कि यदि कोई वेबसाइट का पता या एड्रेस गलत होता है या वह वेबसाइट उपलब्ध नहीं होती है तो हमें यह संदेश कंप्यूटर स्क्रीन पर देखने को मिलता है । इसका अर्थ है कि यदि हम गलत संदर्भ का उल्लेख करते हैं तो वह इसी श्रेणी का साहित्यिक असतता माना जाता है ।

8.      Recycle (पुनर्चक्रण) : लेखकों द्वारा के स्वयं के पिछले कार्यों से बिना उद्धरण के सामग्री को पुनः उपयोग या उधार लेना । यह अनावश्यक प्रकाशन का एक रूप है ।

9.      Aggregator (संकलन) : इसमें लेखक स्रोतों का हवाला देता है, लेकिन इसमें अपनी ओर से उसकी कोई मूल सामग्री या तो नहीं होती है और यदि होती भी है तो बहुत कम होती है ।

10.  Re-tweet (रिट्विट) : यह कई अलग-अलग स्रोतों से स्वीकृत या अस्वीकृत अंशों से बना एक अप्रमाणिक लेखन होता है।

 

साहित्यिक असतता के परिणाम  (Consequences of plagiarism)

  • पत्रिका या पुस्तक के छपने के पश्चात यदि साहित्यिक असतता सामने आती है तो आपका शोध आलेख या पुस्तक को वापस लिया जा सकता है इसे अप्रकाशित माना जाएगा और हो सकता है कि आप पर वित्तीय जुर्माना या दंड भी लग जाए
  • इसके कारण निष्कासन सहित अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई संभव है
  • यह आपके संस्थान के मानकों और उसके द्वारा जारी की जाने वाली डिग्री या उपाधि की महत्ता को कम कर सकता है उसकी साख या प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकता है
  • आपके भविष्य के करियर या अकादमिक उन्नयन पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं

 

साहित्यिक  से बचाव (How to avoid plagiarism ?) :

अब हमारे सामने प्रश्न उठता है कि हम प्लैज़रिज्म को कैसे टाल सकते हैं या इससे बच सकते हैं ?  जैसा कि हम जानते हैं जानकारी ही बचाव है इसलिए साहित्यिक चोरी  या असतता से बचने के लिए इससे संबंधित जानकारी होना आवश्यक है

  •  दूसरों के विचार, शब्द, डेटा या कोई भी जानकारी का उचित संदर्भ उद्धृत करें 
  • किसी अन्य व्यक्ति के पाठ या वाक्यांशों को दर्शाने के लिए उद्धरण चिह्नों और/या इंडेंटेड पाठ (फॉर्मेट) का उपयोग करें यदि सामान्यत: 20 शब्दों से अधिक का उद्धरण है तो इसके लिए अलग से इंडेंटेड पाठ (फॉर्मेट) तैयार करें और इसकी फॉण्ट के आकार को छोटा रखें ताकि स्पष्ट रूप से पता चले कि यह उद्धरण किसी अन्य स्रोत से है
  • किसी अन्य व्यक्ति के विचारों का उद्धरण के साथ उनका उचित श्रेय देते हुए संक्षिप्त विवरण दें 

 

 इसके साथ ही हमें ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ (UGC) द्वारा जारी ‘उच्च शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक निष्ठा का संवर्धन और साहित्यिक असतता की रोकथाम’ विनियम, 2018’ (Promotion of Academic Integrity and Prevention of Plagiarism in Higher Educational Institutions) Regulations, 2018 ) को हम देख सकते हैं इससे हमें मार्गदर्शन मिलता है इसके साथ ही ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ (UGC) ने ‘श्रेष्ठ अकादमिक अनुसंधान अभ्यास’ भी अपलोड किया है इससे भी हमें इस संबंध में  कुछ सीखने को मिल सकता है इसके साथ ही हमें क्रिएटिव कॉमन्स अथवा सृजनशीलता संबंधी अधिकार (cc) का ज्ञान भी सहायक सिद्ध हो सकता है

 

संदर्भ (References) :

·         Promotion of Academic Integrity and Prevention of Plagiarism in Higher Educational Institutions) Regulations, 2018  https://www.ugc.ac.in/pdfnews/7771545_academic-integrity-Regulation2018.pdf

·         Patwardhan B., Desai A., Chourasia A, Nag S., Bhatnagar R. 2020. Guidance Document: Good Academic Research Practices. New Delhi: University Grants Commission. (https://www.ugc.gov.in/e-book/UGC_GARP_2020_Good%20Academic%20Research%20Practices.pdf )

·         https://sriniket.blogspot.com/2023/12/creative-commons.html


© डॉ. श्रीनिकेत कुमार मिश्र

    सहायक प्रोफेसर,

    अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ,

    म.गां.अं.हिं.वि., वर्धा